जगदलपुर , नवंबर 11 -- छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में पांच नवम्बर को कथित तौर पर जारी भाकपा (माओवादी) केंद्रीय समिति के हालिया प्रेस नोट ने संगठन के भीतर बढ़ती हताशा और वैचारिक विभाजन के संकेत दिए हैं।

पुलिस अधिकारियों के अनुसार विकास योजनाओं, सशक्त लोकपक्ष भागीदारी और व्यापक सुरक्षा कार्रवाई के कारण कई पूर्व कार्यकर्ता अब मुख्यधारा में लौट रहे हैं। ''हमने पिछले 20 महीनों में सैकड़ों आत्मसमर्पण और सफल पुनर्वास के प्रमाण देखे हैं; बस्तर में अब हालात पहले जैसे नहीं रहे।''बस्तर रेंज के आईजीपी सुंदरराज पट्टलिंगम ने आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास का मार्ग खुला रहने की बात दोहराई।

आत्मसमर्पण करने वाले कुछ कैडरों ने मीडिया से कहा कि वे विचारधारा की ''खोट'' और अंदरूनी शोषण देखकर मुख्यधारा लौटे हैं, जबकि माओवादी दस्तावेजों में आत्मसमर्पित सदस्यों को ''देशद्रोही'' कहने जैसा कड़वा रुख संगठन के भीतर अविश्वास दर्शाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि उच्चस्तरीय नेताओं के छोड़ने से संगठनात्मक गतिशीलता पर गंभीर प्रभाव पड़ा है।

बस्तर में शांति, विकास और पुनर्वास पहलों के समन्वय से माओवादी आंदोलन की संगठित पकड़ कमजोर दिख रही है; प्रशासन ने बार-बार कहा है कि लौटने वालों के लिये समावेशन का रास्ता खुलेगा, और जो हिंसा पर अड़े रहेंगे उन्हें परिसंघीय कार्रवाई का सामना करना होगा।

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