महोबा , नवम्बर 16 -- उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में सैकड़ो की संख्या में बाहरी संदिग्ध लोगों को अवैधानिक तरीके से बसाने एवं उनके निवास प्रमाण पत्र निर्गत कराये जाने के एक गंभीर मामले का पर्दाफाश होने पर ह्ड़कंप मच गया है एवं मामले में प्राथमिक जांच पड़ताल में एक ग्राम विकास अधिकारी की संलिप्तता पाए जाने पर उसे निलंबित कर दिया गया है जबकि इसमें शामिल राजस्व विभागके लेखपाल की भूमिका संदिग्ध मान सघन पड़ताल शुरू की गयी है।

जिले की कुलपहाड़ तहसील क्षेत्र के बेलाताल में पिछले कुछ दिनों में देखते ही देखते करीब चार सौ प्रवासियों की एक नई बस्ती बस जाने पर इन संदिग्ध लोगों की गतिविधियों से चिंतित ग्रामीणों ने पिछले दिनों इसकी शिकायत पुलिस ओर प्रशासन से की थी। जिसके बाद पुलिस तत्काल कार्रवाई करने मौके पर पहुंची बाद में उन्हें आदिवासी कबीला का बताते हुये अपने पल्ला झाड़ लिया। लेकिन विश्व हिन्दू परिषद समेत विभिन्न हिन्दू वादी संगठन प्रकरण में सक्रिय हो गए।

विश्व हिन्दू परिषद के विभाग संगठन मंत्री मयंक तिवारी ने बताया की बेलाताल में आकर बसे उक्त बाहरी संदिग्ध लोगों की भाषा ओर बोलचाल बंगलादेशी रोहिंग्या जैसी होने के कारण संगठन द्वारा ज्ञापन सौंप कर व्यक्त की गयी चिंता को जिला प्रशासन ने गंभीरता से लिया ओर प्रवासियों के विषय में सघन पड़ताल शुरू कराई गयी।

जांच में हाल के दिनों में ही इनके स्थानीय स्तर पर योजनाबद्ध तरीके से उन्हें स्थानीय निवासी बनाये जाने के लिए निवास प्रमाण पत्र निर्गत होने ओर ग्राम पंचायत के परिवार रजिस्टर में नाम दर्ज किये जाने के चल रहे षड्यंत्र का खुलासा हुआ है। बेलाताल में तैनात राजस्व विभाग के लेखपाल राम बाबू सिंह ओर ग्राम पंचायत के सचिव आमिर खान की भूमिका संदिग्ध पाई गयी है।

जिला पंचायत राज अधिकारी चंद्र प्रकाश वर्मा ने परिवार रजिस्टर में नाम दर्ज किये जाने की निर्धारित प्रक्रिया का अनुपालन न करने पर शनिवार को ग्राम सचिव आमिर खान को निलंबित भी कर दिया है।

कुलपहाड के उप जिलाधिकारी कार्यालय के सूत्रों ने बताया की कोई दो माह पहले तत्कालीन जिलाधिकारी अनुराग प्रसाद के हस्ताक्षरों से निर्गत बेलाताल के प्रवासियों के निवास प्रमाण पत्रों के आवेदनों की जांच करके रिपोर्ट लेखपाल राम बाबू द्वारा दिए जाने की बात प्रकाश में आई है। आवश्यक अभिलेखों के बगैर स्वीकृत कराये गए सभी आवेदनो का पुनरीक्षण कराया जा रहा है।

बेलाताल पुलिस चौकी के इंचार्ज सुजीत जायसवाल ने बताया की पुलिस की जांच में बस्ती के लोगों ने पूर्व में वर्ष 2008 में निर्गत अपने आय, जाति, निवास के प्रमाण पत्र प्रस्तुत किये. जिन्हें लखनऊ के तहसीलदार मजिस्ट्रेट कार्यालय से जारी किया गया था। प्रमाण पत्रों में इन्हें नट बिरादरी का बताया गया है।

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