नागपुर , अक्टूबर 22 -- महाराष्ट्र सरकार की "लड़की बहन" योजना के अंतर्गत 12,000 से ज्यादा पुरुषों और लगभग 78,000 अपात्र महिलाओं ने कथित रूप से वित्तीय लाभ प्राप्त किया जबकि यह योजना विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं के लिए है। यह जानकारी बुधवार को एक आरटीआई के माध्यम से प्राप्त हुई।

सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के माध्यम से प्राप्त जानकारी के अनुसार, धोखाधड़ी के दावों के कारण अनुमानित 164.52 करोड़ रुपये की हेराफेरी हुई।

आरटीआई में पता चला कि 12,431 पुरुषों और 77,980 अपात्र महिलाओं को 12 से 13 महीने में 1,500 रुपये की मासिक सहायता राशि वितरित की गई। कुल गबन की गई राशि में से लगभग 24.24 करोड़ रुपये पुरुष लाभार्थियों को और 140.28 करोड़ रुपये उन महिलाओं को दिए गए जो पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं करती थीं।

मुख्यमंत्री माझी लड़की बहन योजना के अंतर्गत शुरू की गई यह योजना विशेष रूप से 2.5 लाख रुपये से कम वार्षिक आय वाले परिवारों की 21 से 65 वर्ष की आयु की महिलाओं के लिए है। सरकार वर्तमान में इस योजना के तहत लगभग 3,700 करोड़ रुपये प्रति माह वितरित करती है, जिसमें 2.41 करोड़ महिलाएं लाभार्थी के रूप में पंजीकृत हैं।

अधिकारियों ने लगभग 2,400 सरकारी कर्मचारियों की भी पहचान की है जिन्होंने योजना के दिशानिर्देशों के अंतर्गत अपात्र होने के बावजूद लाभ प्राप्त किया। अधिकारियों ने इसे घोटाले का एक छोटा सा हिस्सा करारा दिया और चेतावनी दी कि आगे की जांच से और भी अनियमितताएं सामने आ सकती हैं। जून और जुलाई 2025 के बीच, राज्य सरकार ने योजना के क्रियान्वयन के दौरान अपर्याप्त दस्तावेजीकरण एवं कमजोर सत्यापन प्रोटोकॉल का हवाला देते हुए संदिग्ध चिह्नित 26.34 लाख से अधिक खातों में भुगतान निलंबित किया था। इन खुलासों की विपक्षी दलों और लोक निगरानी समूहों ने तीखी आलोचना की है और बड़े पैमाने पर सरकारी धन के दुरुपयोग की जवाबदेही तय करने की मांग की है। जानकारी के अनुसार, इस मामले की औपचारिक जांच चल रही है।

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