अकोला , अक्टूबर 09 -- महाराष्ट्र सरकार द्वारा मराठों को पिछले कुछ समय से सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिए जाने के निर्णय के बाद ओबीसी समुदाय में आत्महत्या की घटनाएं बढ़ती जा रही है।
इसी सिलसिले में पातुर तालुका के अलेगांव निवासी ओबीसी अधिकार कार्यकर्ता विजय बोचारे (59 ) ने गुरुवार तड़के अलेगांव बस स्टैंड यात्री आश्रय में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।
ओबीसी समुदाय के अधिकारों के लिए आजीवन अभियान चलाने वाले और कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल के कट्टर समर्थक बोचारे ने सोशल मीडिया पर ओबीसी आरक्षण की वर्तमान स्थिति पर अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए तीन भावुक करने वाले पोस्ट साझा करने के बाद यह कदम उठाया।
श्री बोचारे ने अपनी मृत्यु से पहले मुख्यमंत्री और वरिष्ठ ओबीसी नेताओं को पत्र लिखकर आगाह किया था कि मराठा आरक्षण पर राज्य सरकार के हालिया रुख ने ओबीसी समुदायों में व्यापक असुरक्षा पैदा कर दी है।
अपने अंतिम संदेश में उन्होंने लिखा, "हमारे बच्चों का भविष्य दांव पर है। हम शिक्षा, नौकरियों और राजनीति में अपना स्थान खोते जा रहे हैं। अब हमारे जीवन का कोई अर्थ नहीं है।"उनकी अंतिम पोस्ट "जय ओबीसी, जय संविधान" और "जाति जनगणना अवश्य करायी जाये और ओबीसी आरक्षण सुरक्षित रहे" जैसी अपीलों के साथ खत्म हुयी।
चन्नी पुलिस स्टेशन के अधिकारियों ने घटनास्थल पर पहुंचकर शव को पोस्टमॉर्टम के लिए अकोला के सर्वोपचार अस्पताल भेज दिया। पुलिस मामले की विस्तृत जांच कर रही है।
श्री बोचारे की मृत्यु से पातुर तालुका, खासकर अलेगांव गांव में व्यापक शोक और आक्रोश फैल गया है। स्थानीय लोगों ने उन्हें एक मेहनती किसान और समर्पित सामाजिक कार्यकर्ता बताया, जो ओबीसी सशक्तिकरण के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध थे।
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