नयी दिल्ली , अक्टूबर 16 -- बिहार विधानसभा चुनाव में पहले चरण की 121 सीटों के नामांकन में सिर्फ एक दिन बचा है लेकिन अभी तक महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर असमंजस बरकरार है।

कांग्रेस पार्टी 60 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने की जिद पर अड़ी हुयी है जबकि राष्ट्रीय जनता दल(राजद) कांग्रेस को 58 सीटों से ज्यादा देने के मूड में नहीं है। दरअसल बिहार में कांग्रेस इस बार अपने अनुसार बेहतर स्थिति वाली सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। इसलिए पार्टी सीमांचल क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा सीटों की मांग कर रही है। राजद कांग्रेस की इस मांग को पूरा करने के पक्ष में नहीं है।

कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक दोनों दलों के बीच आज भी खींचतान सीटों से ज्यादा सियासी जमीन मजबूत करने की है।

वर्ष 2020 के विधानसभा चुनावों की तुलना में इस बार बिहार में महागठबंधन में वीआईपी भी शामिल है। इसके अलावा झारखंड मुक्ति मोर्चा भी कुछ सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती हैं। इसका सीधा असर कांग्रेस पर पड़ रहा है। नये सहयोगियों के आने से राजद के पास विकल्प बढ़ गये हैं जबकि कांग्रेस के पास मोल भाव की गुंजाइश कम हो गयी है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जो 70 सीटें राजद ने दी थीं। उनमें से 45 सीटें राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(राजग) के मजबूत गढ़ की थीं जिन्हें कांग्रेस और राजद लंबे समय से नहीं जीत सके हैं।

कांग्रेस ने पिछली बार 19 सीटें जीती थीं और वह उन सीटों के अलावा ऐसी सीटों पर भी चुनाव लड़ना चाहती है जहां वह दूसरे स्थान पर रही थी। कांग्रेस की मांग ऐसी सीटों की है जहां वह आसानी से चुनाव जीत सके इसलिए वह राजद की मर्जी के बजाए अपनी पसंद की सीटों की मांग कर रही है।

इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर पार्टी नेताओं की एक महत्वपूर्ण बैठक हुयी जिसमें महागठबंधन के घटक दलों के बीच सीटों के बंटवारे का मुद्दा जल्द से जल्द सुलझाने पर विचार विमर्श हुआ। बैठक में पार्टी नेता राहुल गांधी, के सी वेणुगोपाल तथा अजय माकन भी शामिल थे।

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