लखनऊ , अक्टूबर 4 -- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नगर विकास विभाग की उच्चस्तरीय बैठक में शहरों के विकास कार्यों की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि विकास कार्य नियोजित ढंग से और समन्वित रूप में किए जायें।

उन्होंने कहा कि अलग-अलग विभागों द्वारा अलग-अलग कार्य करने से योजनाओं में अनावश्यक देरी होती है। इसलिए सभी विभाग मिलकर साझा कार्ययोजना बनाएं और समयबद्ध ढंग से क्रियान्वयन करें। मलिन बस्तियों के विकास पर विशेष जोर देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां साफ-सफाई, पेयजल आपूर्ति, जल निकासी, सड़क कनेक्टिविटी और स्ट्रीट लाइट जैसी मूलभूत सुविधाओं को सुनिश्चित किया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जल निकासी व्यवस्था (ड्रेनेज सिस्टम) को और मजबूत करने की आवश्यकता है। प्रत्येक शहर में ऐसी नाली की व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे भारी बारिश के बाद जलभराव की समस्या उत्पन्न न हो। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि ड्रेनेज सिस्टम के सुधार और नई व्यवस्थाओं की नियमित मॉनिटरिंग की जाए, ताकि नागरिकों को बरसात के समय किसी असुविधा का सामना न करना पड़े।

मलिन बस्तियों के विकास पर विशेष जोर देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां साफ-सफाई, पेयजल आपूर्ति, जल निकासी, सड़क कनेक्टिविटी, कूड़ा कलेक्शन और स्ट्रीट लाइट जैसी मूलभूत सुविधाओं को सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिया कि इन बस्तियों के विकास की जिम्मेदारी ठेकेदारों को न दी जाए, बल्कि नगर निकाय स्वयं इसकी जिम्मेदारी उठाएं और समय-समय पर उसकी मॉनिटरिंग करें।

योगी ने कहा कि मलिन बस्तियों और पब्लिक प्लेसेस अधिक से अधिक सामुदायिक शौचलयों के निर्माण सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कहा कि यह ध्यान रखा जाए की इन सामुदायिक शौचालयों में नियमित साफ-सफाई की व्यवस्था हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि नगर निकायों से जुड़े नए गांवों में भी मूलभूत सुविधाएं जल्द सुनिश्चित की जाए, जिससे लोगों किसी परेशानी का सामना न करना पड़े। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि लापरवाही की स्थिति में जिम्मेदार अधिकारियों से जवाबदेही तय की जाएगी।

स्मार्ट सिटी के विकास के लिए मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि स्मार्ट सिटी की योजनाओं को इस तरह तैयार किया जाए जिससे शहर का समग्र विकास हो और साथ ही राजस्व की भी वृद्धि सुनिश्चित हो। इसके तहत मुख्यमंत्री ने कहा कि शहरों में शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, मल्टीलेवल पार्किंग, रेस्टोरेंट और ऑडिटोरियम जैसे प्रोजेक्ट्स को पीपीपी मॉडल पर विकसित करें। स्वच्छता को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए उन्होंने नियमित कूड़ा उठान और उसके निस्तारण को सुनिश्चित करने के साथ-साथ ठोस और गीले कचरे को अलग करने के लिए नियमित जागरूकता अभियान चलाने पर जोर दिया।

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