कोलकाता , दिसंबर 22 -- पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को गृह मंत्री अमित शाह पर नाम लिए बिना तीखा हमला करते हुए उन पर तानाशाही तरीके से काम करने का आरोप लगाया।

अपनी पार्टी टीएमसी के बूथ लेवल सहायकों (बीएलए) के एक कार्यक्रम में सुश्री बनर्जी ने अपने संबोधन में आरोप लगाया कि केंद्र सरकार देश को खतरनाक दिशा में धकेल रही है और लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर कर रही है। उन्होंने इसी के साथ कहा कि जनता सब कुछ देख रही है।

किसी का नाम लिए बिना मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में इतना 'बुरा' गृह मंत्री नहीं देखा।

सुश्री बनर्जी ने केंद्रीय गृह मंत्री के संदर्भ में कहा, " वह सब कुछ नियंत्रित कर रहे हैं। मुझे संदेह है कि वह प्रधानमंत्री के कामों में भी दखल देते हैं। वह पूरे देश को नियंत्रित कर रहे हैं।"उन्होंने लोगों से कहा, " अपने विवेक का इस्तेमाल कीजिए। आप देख सकते हो, कि क्या हो रहा है।"तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने केंद्र सरकार पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की विरासत को जानबूझकर नजरअंदाज करने का आरोप भी लगाया। हाल के घटनाक्रमों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार अधिनियम के स्थान पर लाये गये नये कानून से महात्मा गांधी का नाम हटा दिया गया और जानबूझकर धार्मिक प्रतीकों को चुनिंदा इस्तेमाल किया गया है। उन्होंने कहा, " मुझे राम नाम से कोई आपत्ति नहीं है।"इसी बीच, सुश्री बनर्जी ने राज्य सरकार को सूचित किये बिना केंद्रीय कर्मचारियों को पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त करने के लिए चुनाव आयोग पर निशाना साधा और इसे संघीय व्यवस्था के नियमों को जानबूझकर दरकिनार करने का प्रयास बताया। उन्होंने कहा कि राज्य में अधिकांश बूथ स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) स्कूल शिक्षक हैं और माध्यमिक परीक्षाएं नजदीक हैं।

उन्होंने कहा, " शिक्षक पहले से ही दबाव में हैं। ऊपर से, मुझे सुनने में आया है कि कई केंद्रीय सरकारी अधिकारियों को नियुक्त किया गया है।"मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को केंद्र द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षकों के बारे में विस्तृत जानकारी जुटाने का निर्देश दिया।

सुश्री बनर्जी ने कहा, " प्रत्येक क्षेत्र में पता लगाइए कि किसे नियुक्त किया गया है, वे किस विभाग में काम करते हैं और वे कहां रहते हैं। हमें सारी जानकारी चाहिए। मैं उनके साथ सहयोग करूंगी, लेकिन मुझे पूरी जानकारी चाहिए। "उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने राज्य से परामर्श किए बिना जानबूझकर कार्रवाई की है। "वे राज्य को सूचित किए बिना राज्य के अधिकारियों को पर्यवेक्षक बना रहे हैं। फिर से, वे माइक्रो पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर रहे हैं। ये दिल्ली के लोग हैं, भाजपा के एजेंट हैं। "उनकी उपयुक्तता पर सवाल उठाते हुए सुश्री बनर्जी ने कहा कि ऐसे अधिकारी बंगाल की सामाजिक और भाषाई विविधता को नहीं समझते।

उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा, " वे राजबंशी, कामतापुरी, लेपचा या नेपाली भाषा नहीं समझते। और वे सुनवाई करेंगे? "मुख्यमंत्री की यह टिप्पणी चुनाव संचालन को लेकर राज्य सरकार और केंद्र के बीच बढ़ते तनाव को रेखांकित करती है। सुश्री बनर्जी ने स्पष्ट कर दिया है कि वे राज्य को विश्वास में लिए बगैर दिल्ली में लिए गये किसी भी फैसले को स्वीकार नहीं करेंगी।

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