वर्ष 1952 में महबूब खान निर्मित फिल्म आन की खास बात यह थी कि यह हिंदुस्तान में बनी पहली टेक्नीकलर फिल्म थी और इसे काफी खर्च के साथ वृहत पैमाने पर बनाया गया था। दिलीप कुमार प्रेमनाथ और नादिरा की मुख्य भूमिका वाली इस फिल्म से जुड़ा एक रोचक तथ्य यह भी है कि भारत में बनी यह पहली फिल्म थी जो पूरे विश्व में एक साथ प्रदर्शित की गयी। पचास के दशक में कुक्कू की लोकप्रियता का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि उन दिनों जब फिल्म बनने के बाद उसकी पहली झलक वितरक को दिखायी जाती तो वह कहते फिल्म में कुक्कू कहां है बाद में फिल्म में कुक्कू को शामिल किया जाता और उसपर एक या दो गीत अवश्य फिल्माये जाते।कुक्कू को नये डिजाइन की फैशेनबल चप्पल पहनने का शौक था। जब कभी वह फिल्म स्टूडियों में डिजानइनर चप्पले या जूते पहनकर आती तो देखने वाले उन्हें देखते रह जाते। माना जाता है कि कुक्कू के पास विभिन्न डिजाइन वाले लगभग 5000 जोड़ी चप्पले थी। मशहूर नृत्यांगना हेलेन को फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित करने के लिये कुक्कू ने अहम भूमिका निभाई। कुक्कू की सिफारिश की वजह से हेलेन को शबिस्तान और फिर आवारा 1951 फिल्मों में नर्तकों के समूह में काम करने का करने का मौका मिला।वर्ष 1945 से वर्ष 1965 तक कुक्कू ने फिल्म इंडस्ट्री पर एकछत्र राज किया। उन्होंने आजीवन विवाह नही किया। नितांत अकेले रहने वाली कुक्कू को इस दौरान कैंसर जैसी जटिल बीमारी का शिकार हो गयी अपने अपने गम को भुलाने के लिये शराब का सेवन करने लगी।फिल्म इंडस्ट्री में लगभग दो दशक तक अपनी नृत्य शैली से दर्शको के बीच खास पहचान बनाने वाली कुक्कू 30 सितंबर 1981 को इस दुनिया को अलविदा कह गयी।कुक्कू ने अपने दो दशक लंबे सिने करियर में कई फिल्मों में काम किया। उनके करियर की उल्लेखनीय फिल्मों में कुछ है, विद्या,शबनम, पतंगा, पारस, अंदाज,हमारी बेटी,खिलाड़ी, आरजू ,बावरेनैन, शबिस्तान, हलचल,मिस्टर एंड मिसेज 55,यहूदी,फागुन,चलती का नाम गाड़ी,गैंबलर,मुझे जीने दो आदि।
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