, Oct. 2 -- वर्ष 1966 में प्रदर्शित फिल्म तीसरी मंजिल आशा पारेख के सिने करियर की बड़ी सुपरहिट फिल्म साबित हुई। इस फिल्म के बाद आशा पारेख के कैरियर में ऐसा सुनहरा दौर भी आया, जब उनकी हर फिल्म सिल्वर जुबली मनाने लगी। यह सिलसिला काफी लंबे समय तक चलता रहा। इन फिल्मों की कामयाबी को देखते हुए वह फिल्म इंडस्ट्री में जुबली गर्ल के नाम से प्रसिद्ध हो गई। वर्ष 1970 में प्रदर्शित फिल्म कटी पतंग आशा पारेख की एक और सुपरहिट फिल्म साबित हुयी।शक्ति सामंत के निर्देशन में बनी इस फिल्म में आशा पारेख का किरदार काफी चुनौतीपूर्ण था, लेकिन उन्होंने अपने सधे हुये अभिनय से इसे जीवंत कर दिया। इस फिल्म में दमदार अभिनय के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

नब्बे के दशक में आशा पारेख ने फिल्मों में काम करना काफी कम कर दिया। इस दौरान उन्होने छोटे पर्दे की ओर रूख किया और गुजराती धारावाहिक ज्योति का निर्देशन किया। इसी बीच आशा पारेख ने अपनी प्रोडक्शन कंपनी आकृति की स्थापना की जिसके बैनर तले उन्होंने पलाश के फूल, बाजे पायल, कोरा कागज और दाल में काला जैसे लोकप्रिय धारावाहिकों का निर्माण किया। आशा पारेख ने हिंदी फिल्मों के अलावा गुजराती, पंजाबी और कन्नड़ फिल्मों में भी अपने अभिनय का जौहर दिखाया। आशा पारेख भारतीय सेंसर बोर्ड की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। इसके अलावा उन्होंने सिने आर्टिस्ट एसोसियेशन की अध्यक्ष के रूप में वर्ष 1994 से 2000 तक काम किया।

आशा पारेख को अपने सिने करियर में खूब मान-सम्मान मिला। वर्ष 1992 में कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान को देखते हुए वह पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित की गईं। आशा पारेख को वर्ष 2022 में भारतीय सिनेमा जगत के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया।आशा पारेख ने लगभग 85 फिल्मों में अभिनय किया है। उनकी कुछ उल्लेखनीय फिल्में हैं हम हिंदुस्तानी, घूंघट, घराना, भरोसा,जिद्दी, मेरे सनम, लव इन टोकियो, दो बदन, आये दिन बहार के, उपकार, शिकार, कन्यादान, साजन, चिराग, आन मिलो सजना, मेरा गांव मेरा देश, आन मिलो सजना, कारवां, बिन फेरे हम तेरे, सौ दिन सास के, बुलंदी, कालिया, बंटवारा, आंदोलन आदि।

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