चेन्नई , दिसंबर 17 -- मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै खंडपीठ ने शासक के अपनी प्रजा की रक्षा के कर्तव्य पर मनुस्मृति और अर्थशास्त्र का उल्लेख करते हुए केंद्र सरकार को विदेश में कार्यरत भारतीय नागरिकों को आवश्यक कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए एक नीति बनाने का निर्देश दिया है।

न्यायमूर्ति जीआर स्वामीनाथन ने विरुधुनगर जिले की मलारविझी नाम की महिला की याचिका पर आदेश पारित करते हुए यह टिप्पणी की। श्रीमती मलारविझी के पति अय्यप्पन मारिमुथु की चार साल पहले कैमरून में मृत्यु हो गई थी। अदालत ने कहा कि मृतक के परिवार को मुआवजा दिलाना केंद्र सरकार का संवैधानिक दायित्व है।

न्यायाधीश ने कहा कि जहां विदेशों में कार्यरत नागरिक अपने अधिकारों को सुरक्षित करने में असमर्थ हैं, वहां भारत सरकार को उनकी सहायता करनी चाहिए। अपने फैसले की पुष्टि के लिए न्यायाधीश ने अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों के साथ-साथ मनुस्मृति, कौटिल्य के अर्थशास्त्र, बौद्ध साहित्य और महाभारत से ऐसे उद्धरण दिए, जो राजा के कर्तव्यों का निर्धारण करते हैं।

मृतक को अफ्रीका फर्स्ट मैचेज इंडस्ट्री ने नियुक्त किया गया था, जिसने उसकी मृत्यु के छह दिन बाद उन्नीस अक्टूबर, 2021 को एक पत्र के माध्यम से मुआवजा देने का वचन दिया। लेकिन मुआवजे का भुगतान नहीं किया गया, जिससे व्यथित मलारविझी ने विदेश मंत्रालय को राशि दिलाने का निर्देश देने की मांग की थी।

न्यायाधीश ने कहा कि भारतीय न्यायशास्त्र में 'पेरेंस पैट्रिया' की अवधारणा राजा पर प्रजा की रक्षा की जिम्मेदारी डालती है, और संवैधानिक व्यवस्था में यह जिम्मेदारी सरकार की है। एक कल्याणकारी राज्य के लिए विशिष्ट वैधानिक ढांचे की अनुपस्थिति अपनी जिम्मेदारियों से बचने का बहाना नहीं हो सकती। अदालत ने स्पष्ट किया कि संवैधानिक व्यवस्था में 'राजा' के स्थान पर 'सरकार' को रखा जाना चाहिए।

न्यायालय ने केंद्र की इस दलील को खारिज कर दिया कि याची को यथासंभव कांसुलर सहायता दी गई और वह कंपनी अब बंद हो चुकी है तथा उसका मालिक भी मर चुका है। न्यायाधीश ने कहा कि राजधर्म के सिद्धांत के आलोक में संवैधानिक प्रावधान और संविधान की प्रस्तावना बताते हैं कि भारत सरकार का कर्तव्य है कि वह अपने नागरिकों को न केवल भारत के भीतर बल्कि बाहर भी कानूनी सहायता प्रदान करे।

न्यायाधीश ने इस तथ्य की ओर भी ध्यान दिलाया कि विदेशों में कार्यरत प्रवासी श्रमिक विदेशी धन भेजकर राष्ट्रीय खजाने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। उन्होंने कहा कि जब सरकार को इन श्रमिकों से लाभ मिल रहा है, तो समस्या उत्पन्न होने पर उनकी मदद के लिए आगे आना सरकार का कर्तव्य है।

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