भोपाल उज्जैन , नवंबर 18 -- मध्यप्रदेश में पिछले कुछ समय से विवादों में रहे सिंहस्थ लैंड पूलिंग एक्ट को राज्य सरकार ने आखिरकार निरस्त कर दिया।

कल मुख्यमंत्री निवास पर राज्य सरकार, किसान संगठनों और भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारियों के बीच हुई बैठक के बाद देर रात इस एक्ट को निरस्त करने की जानकारी साझा की गई।

किसान संगठन पिछले कुछ समय से लगातार इसे वापस लिए जाने की मांग पर अड़े हुए थे। किसान पिछले लगभग एक महीने से इसके खिलाफ विभिन्न चरणों में आंदोलन भी कर रहे थे। इसी क्रम में आज से किसान संगठनों ने उज्जैन में "घेरा डालो-डेरा डालो" आंदोलन शुरू करने की घोषणा की थी। किसान संघ के आह्वान पर प्रदेश के विभिन्न जिलों से हजारों किसानों के उज्जैन पहुँचने की आशंका जताई गई थी।

इस एक्ट के तहत उज्जैन में सिंहस्थ के स्थाई निर्माण कार्यों के लिए किसानों की जमीन अधिगृहीत की जानी थी। किसान संघ की मांग थी कि पहले की तरह ही अस्थायी निर्माण व्यवस्था रखी जाए। सरकार और किसान संगठनों के बीच कई बार इसे लेकर चर्चा हुई थी, लेकिन किसान अपनी मांगों पर पूरी तरह कायम रहे। इसी बीच किसानों ने आज से आंदोलन के स्वर और तेज करने की चेतावनी दी थी।

बैठक के बाद भारतीय किसान संघ के प्रांतीय अध्यक्ष कमल सिंह आँजना ने कहा कि सरकार ने इस एक्ट को निरस्त कर दिया है। उज्जैन के नागरिक सिंहस्थ में आने वाले नागरिकों की बहुत हर्ष के साथ अगवानी और मेजबानी करेंगे। किसानों की मांगों पर सरकार ने इस एक्ट को निरस्त किया है, इसके लिए सरकार को साधुवाद।

इसी बीच कांग्रेस ने इसे लेकर सरकार पर हमला बोला। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि ये किसानों की जीत है। उज्जैन के किसानों की ज़मीन छीनने की कोशिश के खिलाफ जबर्दस्त जनविरोध के बाद आखिरकार सरकार को पीछे हटना पड़ा।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित