भोपाल , अक्टूबर 30 -- अरब सागर में बने डिप्रेशन, बंगाल की खाड़ी में गहरे अवदाब और उत्तर भारत में सक्रिय साइक्लोनिक सर्कुलेशन के चलते मध्यप्रदेश में मौसम का मिजाज पूरी तरह बदल गया है। इन तीनों सिस्टम का असर प्रदेशभर में देखा जा रहा है। गुरुवार सुबह निवाड़ी और टीकमगढ़ में तेज बारिश हुई, जबकि रायसेन में घना कोहरा छाया रहा और ठंडी हवाएं चलीं।

बुधवार को भी कई जिलों में बारिश दर्ज की गई। भोपाल, इंदौर और उज्जैन में हवा की रफ्तार तेज रहने से दिन का तापमान गिर गया। उज्जैन में अधिकतम तापमान 23 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया।

मौसम विभाग के अनुसार, अगले 24 घंटों में पूर्वी और दक्षिणी मध्यप्रदेश के 12 जिलों - सतना, रीवा, मऊगंज, सीधी, सिंगरौली, मैहर, उमरिया, शहडोल, अनूपपुर, डिंडौरी, मंडला और बालाघाट में ढाई से साढ़े चार इंच तक बारिश होने की संभावना है। वहीं खंडवा, बुरहानपुर, हरदा, नर्मदापुरम, बैतूल, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, पांढुर्णा, सिवनी, जबलपुर, कटनी और पन्ना में हल्की बारिश, गरज-चमक और आंधी का असर बना रहेगा।

अरब सागर से उठे 'मोंथा' तूफान का असर भी प्रदेश में देखा जा रहा है। कई शहरों में हवा की रफ्तार बढ़ने से ठंडक का असर महसूस किया जा रहा है। बुधवार को प्रदेश के 20 शहरों में दिन का तापमान 26 डिग्री सेल्सियस से नीचे दर्ज किया गया। भोपाल में अधिकतम तापमान 25.2, इंदौर में 25.1, उज्जैन में 23, जबलपुर में 28.8 और ग्वालियर में 24.6 डिग्री रहा।

मौसम विभाग के अनुसार, मध्यप्रदेश से मानसून की औपचारिक विदाई हो चुकी है, लेकिन बारिश का सिलसिला अभी थमा नहीं है। 31 अक्टूबर से 2 नवंबर तक प्रदेश के कई हिस्सों में रुक-रुककर वर्षा जारी रहेगी।

मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस बार नवंबर से कड़ाके की ठंड शुरू हो जाएगी, जो फरवरी तक बनी रह सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार, 2010 के बाद यह सबसे ठंडी सर्दी हो सकती है। सर्दियों के दौरान सामान्य से अधिक बारिश होने की भी संभावना जताई गई है।

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