चेन्नई , दिसंबर 12 -- मद्रास उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को एक दशक पुराने मामले में लगभग 700 करोड़ रुपये की राजस्व प्रभाव वाली एकल न्यायाधीश की पीठ के आदेश को रद्द करते हुए तमिलनाडु उत्पादन और वितरण निगम (टीएएनजीईडीसीओ) अब तमिलनाडु विद्युत वितरण निगम (टीएनपीडीसीएल) के पक्ष में फैसला सुनाया।

न्यायमूर्ति डॉ. जी. जयचंद्रन और न्यायमूर्ति मुम्मिनेनी सुधीर कुमार की खंडपीठ ने टीएएनजीईडीसीओ द्वारा दायर 100 से अधिक रिट अपीलों को मंजूर कर लिया। ये अपीलें सिंगल जज के उस आदेश के खिलाफ थीं, जिसमें टीएएनजीईडीसीओ द्वारा सभी हाई टेंशन औद्योगिक उपभोक्ताओं पर लगाए गए डिमांड चार्ज की मांग को रद्द कर दिया गया था।

2006 में तमिलनाडु राज्य विद्युत आयोग ( टीएनईआरसी) ने अपने स्वयं के कैप्टिव पावर प्लांट या ओपन एक्सेस से बिजली लेने वाले एचटी उपभोक्ताओं के लिए "डीम्ड डिमांड" नामक रियायती गणना पद्धति शुरू की थी। 2012 में टीएनईआरसी ने टीएएनजीईडीसीओ को हो रहे नुकसान के कारण यह रियायत वापस ले ली।

हालांकि, कई एचटी उपभोक्ताओं ने दावा किया कि उन्हें अभी भी यह लाभ मिलना चाहिए और उन्होंने उच्च न्यायालय में रिट याचिकाएं दायर कीं। एकल न्यायाधीश ने 14 सितंबर 2018 को इन याचिकाओं को मंजूर कर लिया था।

इस आदेश के कारण 2013 से अब तक टीएएनजीईडीसीओ राज्य भर के एचटी उपभोक्ताओं से लगभग 700 करोड़ रुपये के डिमांड चार्ज नहीं वसूल पाया था।

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