बेंगलुरु , अक्टूबर 30 -- कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व विधायक सुभाष गुट्टेदार, उनके बेटे हर्ष गुट्टेदार और एक सहयोगी ने मतदाता सूची से नाम हटाने के मामले में राज्य के विशेष जांच दल (एसआईटी) की कड़ी जांच के बीच बेंगलुरु की एक विशेष अदालत में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन किया है।
वर्ष 2023 के विधानसभा चुनावों से पहले अलंद निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची से बड़े पैमाने पर नाम हटाए जाने की जांच कर रही एसआईटी को कथित तौर पर पूर्व विधायक और उनके सहयोगियों की संलिप्तता के संकेत मिले हैं। टीम ने हाल ही में कलबुर्गी और अलंद में गुट्टेदार और उनके सहयोगियों से जुड़ी संपत्तियों की तलाशी ली थी।
एसआईटी सूत्रों के अनुसार जांच से पता चला है कि कलबुर्गी में एक स्थानीय डेटा सेंटर, जिसका संचालन मोहम्मद अशफाक (जो 2023 में दुबई चले गए थे) और उनके सहयोगी मोहम्मद अकरम द्वारा किया जाता था, का कथित तौर पर अवैध मतदाता सूची से नाम हटाने के लिए इस्तेमाल किया गया था। डेटा एंट्री आपरेटरों को कथित तौर पर प्रत्येक नाम हटाने के लिए 80 रुपये का भुगतान किया गया था। छापेमारी के दौरान कई लैपटॉप और डिजिटल उपकरण जब्त किए गए जिनका इस्तेमाल मतदाता सूची में हेराफेरी के लिए किया गया माना जा रहा है।
यह मामला चुनाव आयोग के अधिकारियों द्वारा फरवरी 2023 में दर्ज की गई एक शिकायत से जुड़ा है जब यह पता चला कि हटाने के लिए प्रस्तावित 6,670 मतदाताओं के नामों में से 6,018 अभी भी वैध थे और कथित तौर पर ये आवेदन मतदाताओं की सहमति के बिना दायर किए गए थे।
दो बार के भाजपा विधायक गुट्टेदार, जो 2023 के चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार बी आर पाटिल से 10,348 मतों से हार गए थे, ने किसी भी गड़बड़ी से साफ इनकार किया। उन्होंने कहा,"एसआईटी ने कलबुर्गी और अलंद में मेरे घरों की तलाशी ली लेकिन कुछ नहीं मिला। कांग्रेस बी आर पाटिल के जरिए झूठे आरोप लगा रही है।"यह विवाद तब राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आया जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सितंबर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव आयोग पर अवैध रूप से नाम हटाने पर कार्रवाई करने में विफल रहने का आरोप लगाया।
एसआईटी की ओर से जल्द ही अपनी रिपोर्ट सौंपे जाने की उम्मीद है क्योंकि अदालत श्री गुट्टेदार और उनके सहयोगियों की अग्रिम जमानत याचिका पर विचार कर रही है।
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