इंफाल , अक्टूबर 23 -- भाई दूज की तरह ही मणिपुर में भी भाई-बहन के बीच अनमोल रिश्ते का प्रतीक 'निंगोल चक्कौबा' का त्योहार गुरुवार को पूरे राज्य में बड़े उत्साह के साथ मनाया गया।

इसमें पारंपरिक भोज का आयोजन होता है जिसमें विवाहित महिलाओं (निंगोल) को उनके माता-पिता और भाई एक भव्य भोजन तथा उपहारों के आदान-प्रदान के लिए आमंत्रित करते हैं। यह पर्व राज्य में मौजूदा चुनौतियों के बीच खुशी और एकजुटता के पल लेकर आता है।

इस वर्ष का उत्सव विशेष रूप से महत्वपूर्ण रहा क्योंकि कई नागरिक समाज संगठनों, स्थानीय क्लबों और महिला समूहों ने विभिन्न राहत शिविरों में रह रहे आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों (आईडीपी) सहित सभी समुदायों के लिए सामुदायिक 'निंगोल चक्कौबा' भोज का आयोजन किया।

इन आयोजनों का उद्देश्य मणिपुर के विभिन्न समुदायों के बीच सद्भाव फैलाना और एकता व भाईचारे के संदेश को पुष्ट करना था।

इस दिन का मुख्य व्यंजन मछली लगभग हर घर में बनता है और इंफाल और अन्य जिलों के स्थानीय बाजारों में सुबह से ही अच्छी बिक्री हुई। ऊंची कीमतों के बावजूद, परिवारों और स्वयंसेवकों ने यह सुनिश्चित किया कि पारंपरिक व्यंजन प्रचुर मात्रा में परोसे जाएं जो त्योहार की चिरस्थायी भावना को दर्शाता है।

कई स्थानों पर भाई-बहन एक-दूसरे से मिले, साथ भोजन किया और यादें साझा कीं। वहीं राहत शिविरों में भी यह उत्सव भावुक क्षणों से भरा रहा क्योंकि राज्य में छाई अशांति के कारण अपने घरों से बिछड़े कई लोग गर्मजोशी और देखभाल के सामूहिक माहौल में इस दिन को मना पाए।

समुदाय के नेताओं, आयोजकों और स्वयंसेवकों का इस बात पर ज़ोर रहा कि इस वर्ष का 'निंगोल चक्कौबा' को केवल एक त्योहार के रूप में नहीं, बल्कि एकजुटता और करुणा के प्रतीक पर्व के रूप में मनाया जाये।

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