इंफाल , अक्टूबर 27 -- मणिपुर में इस साल डेंगू के मामलों में बढ़ोत्तरी को देखते हुये स्वास्थ्य अधिकारियों ने कड़े निवारक उपाय लागू किए हैं।
स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार इस साल अभी तक लगभग 3500 मामले सामने दर्ज किये गये हैं। ये आँकड़े परीक्षणों पर आधारित हैं और बड़ी संख्या में ऐसे मामले भी हो सकते हैं जिन्हें रिपोर्ट नहीं किया गया है। अकेले इंफाल पश्चिम में लगभग 2,500 मामले सामने आए हैं और बिष्णुपुर ज़िले में डेंगू से संबंधित एक मौत की सूचना मिली है।
जेएनआईएमएस और रिम्स के स्वास्थ्य कर्मियों के अनुसार, ज़्यादातर परीक्षण इन्हीं दोनों अस्पतालों में किए गए थे। सैकड़ों डेंगू मरीज़ इन दोनों अस्पतालों में आये हैं। जेएनआईएमएस की एक डॉक्टर ने कहा कि कम प्लेटलेट्स वाले मरीज़ों को प्राथमिकता दी जा रही है और डेढ़ लाख से ज़्यादा प्लेटलेट्स वाले मरीज़ों को सामान्य माना जाता है।
स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और क्लब के सदस्यों की एक टीम ने इंफाल पश्चिम क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाया है और अभियान के दौरान लोगों से डॉक्टर की सलाह के बाद ही दवाइयाँ लेने की अपील की गई।
उन्होंने बताया, "डेंगू वायरस के कारण होता है, इसलिए एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल बेअसर है। केवल पैरासिटामोल लेने की सलाह दी जाती है।" एमयू के प्रोफेसर एन मोहनलाल ने कहा कि लंबे समय तक मानसूनी बारिश और उसके कारण जमा पानी, बढ़ता तापमान, मच्छरों (एडीज़ एजिप्टी) के लिए आदर्श प्रजनन परिस्थितियाँ बनना ,इसके प्रमुख कारण हैं।
उन्होंने कहा, "घाटी के ज़िलों, खासकर इंफाल पश्चिम और इंफाल पूर्व में उच्च जनसंख्या घनत्व संक्रमण के जोखिम को बढ़ाता है।" स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि विशेष रूप से घाटी के ज़िलों में चिन्हित हॉटस्पॉट्स में फॉगिंग और कीटनाशक छिड़काव जैसे वाहक नियंत्रण अभियान चलाए जा रहे हैं। स्थानीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा), शहरी टीमें और सामुदायिक समूह घर-घर जाकर निरीक्षण कर रहे हैं और बर्तनों, टायरों, गमलों आदि से जमा पानी निकाल रहे हैं। इसके अलावा लोगों से पूरी बांह वाले कपड़े पहनने, मच्छर भगाने वाले उत्पादों का उपयोग करने, पानी के जमाव को ढकने और कोई भी असामान्य लक्षण दिखाई देने पर तुरंत चिकित्सा सहायता लेने का आग्रह किया गया है।
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