शिमला , नवंबर 05 -- हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बुधवार को मत्स्य पालन विभाग को मछली उत्पादन के लिए आधुनिक तकनीक अपनाने का निर्देश देते हुए कहा कि नदियों और जलाशयों के किनारे ही नयी हैचरी और कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था की जानी चाहिए।
वह यहां विभाग की एक बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने मछली पालकों की आमदनी बढ़ाने के मकसद से हैचरी और कोल्ड स्टोरेज का निर्माण नदियों और तालाबों के किनारे होना चाहिए, जिससे कि मछली का भंडारण लंबे समय तक हो सके। उन्होंने इसके लिए उपयुक्त जमीन की पहचान करने के भी निर्देश दिये।
उन्होंने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने पर जोर दे रही है और इसमें मत्स्य पालन क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार मत्स्य पालन से संबंधित मशीनरी की खरीद पर सब्सिडी देकर किसानों की मदद कर रही है। उन्होंने कहा कि विभाग को मत्स्य पालन क्षेत्र में आधुनिक तरीकों, उन्नत बीज किस्मों और उभरती टेक्नोलाॅजी की जानकारी किसानों को देने के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए।
मुख्यमंत्री ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए अगले सीज़न से राज्य भर के बांधों और जलाशयों में मछली बीज भंडारण बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने विभाग को इस कार्य के लिए तैयार रहने और अगले वर्ष के लिए बीज आवश्यकताओं का आकलन करने की भी बात कही।
श्री सुक्खू ने कहा कि राज्य में मछली उत्पादन बढ़ रहा है और वित्तीय वर्ष 2024-25 में 19,019 टन मछली उत्पादन रहा था, जबकि इस वर्ष अक्टूबर माह तक 7773 टन मछली उत्पादन मिल चुका है।
बैठक में यह भी जानकारी सामने आयी कि हिमाचल प्रदेश ट्राउट मछली उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है और राज्य सरकार ट्राउट मछली पालकों को प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान की भरपाई के लिए एक कोष स्थापित करेगी।
इस बैठक में राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष भवानी सिंह पठानिया, मत्स्य पालन निदेशक विवेक चंदेल और अन्य वरिष्ठ लोग भी बैठक में शामिल हुए।
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