रायगढ़ , अक्तूबर 28 -- केंद्र सरकार की सहकारिता-आधारित "ब्लू इकोनॉमी" को गति देने के प्रयास के तहत केंद्रीय मत्स्यपालन सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने मंगलवार को महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में मत्स्य सहकारी क्लस्टर की प्रगति की समीक्षा की।
डॉ. लिखी ने सहकारी समितियों और मछुआरा संगठनों के प्रतिनिधियों से सीधे संवाद कर जमीनी चुनौतियों और अवसरों का भी आकलन किया।यह क्लस्टर एकीकृत मत्स्यपालन मूल्य श्रृंखला के विकास का मॉडल है, जिसका उद्देश्य सहकारिता से आजीविका और उत्पादन को सुदृढ़ बनाना है।
डॉ. लिखी ने कहा कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) और मत्स्य अवसंरचना विकास कोष (एफआईडीएफ) जैसी राष्ट्रीय पहलों के साथ तालमेल से कार्य करने से सहकारी मॉडल को और मजबूती मिलेगी।
उन्होंने बताया कि मत्स्य विभाग और सहकारिता मंत्रालय के बीच एक संयुक्त कार्यबल देशभर में सहकारी समितियों को सशक्त बनाने के लिए काम कर रहा है।
मत्स्य सहकारी प्रतिनिधियों ने बैठक में मछली पकड़ने के घाट, बर्फ संयंत्र, शीत भंडारण और ड्रेजिंग सुविधाओं की आवश्यकता पर जोर दिया। महिला-केंद्रित हस्तक्षेपों जैसे स्वास्थ्य शिविर और स्वच्छता सुविधाओं को भी प्राथमिकता देने की मांग की गई।
डॉ. लिखी ने कहा कि यह परामर्श प्रक्रिया सहकारिता नेतृत्व वाले मत्स्य विकास की दिशा में एक नया चरण है, जो आत्मनिर्भर भारत और "सहकार से समृद्धि" के लक्ष्य को आगे बढ़ाएगा।
बैठक में महाराष्ट्र सरकार, एनसीडीसी, नाबार्ड, एमपीईडीए, आईसीएआर संस्थानों तथा विभिन्न सहकारी संगठनों के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे।
हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित