जयपुर , दिसंबर 22 -- राजस्थान में राजधानी जयपुर सहित विभिन्न जिलों में मकर संक्राति पर्व के अवसर पर की जाने वाली पतंगबाजी को पशुपालन, गोपालन एवं मत्स्य विभाग ने एडवायजरी जारी की हैं।
विभाग के शासन सचिव डाॅ समित शर्मा ने चाइनीज मांझे (नायलॉन एवं सिंथेटिक पतंग डोर) के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध के बावजूद इसके अवैध उपयोग से पशु-पक्षियों को हो रही गंभीर चोटों एवं मृत्यु की घटनाओं को अत्यंत चिंताजनक बताते हुए प्रदेश के जिलों को एडवाइजरी जारी की। उन्होंने कहा कि मकर संक्रांति के पर्व पर पतंगबाजी में नायलॉन एवं सिंथेटिक सामग्री से निर्मित 'चायनीज मांझे' और कांच एवं लोहे के चूर्ण से लेपित धागों के प्रयोग से आमजन और मूक पक्षियों के जीवन पर गंभीर खतरा उत्पन्न होता है।
एडवाइजरी में उन्होंने कहा कि एनजीटी और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिबंधात्मक आदेशों की पालना में इस वर्ष एक प्रभावी रणनीति के तहत सख्त प्रवर्तन, दंडात्मक कार्यवाही, जनजागरूकता और पक्षी चिकित्सा एवं बचाव की कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि सख्त प्रवर्तन के तहत पुलिस एवं स्थानीय प्रशासन के माध्यम से सघन तलाशी अभियान चलाकर प्रतिबंधित मांझे के स्टॉक को तत्काल जब्त कर इसके निर्माण, भंडारण और विक्रय पर पूर्ण रोक की प्रभावी अनुपालना सुनिश्चित की जाए।
उन्होंने कहा कि उल्लंघनकर्ताओं के विरुद्ध पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960, पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 और भारतीय न्याय संहिता 2023 की सुसंगत धाराओं के तहत दंडात्मक कार्यवाही भी की जाए। उन्होंने बार-बार उल्लंघन करने वाले विक्रेताओं के लाइसेंस निरस्त करने की प्रक्रिया भी शुरू करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जन जागरूकता अभियान चलाकर स्कूलों/कॉलेजों में विद्यार्थियों को प्रतिबंधित मांझा उपयोग न करने की शपथ दिलाने तथा सोशल मीडिया एवं अन्य माध्यमों से आमजन को केवल सूती धागे के उपयोग के लिए प्रेरित किया जाए तथा व्यापार संघों के साथ बैठक कर उन्हें इसके विक्रय के बहिष्कार के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
डाॅ शर्मा ने कहा कि सभी जिलों में घायल पक्षियों के त्वरित उपचार के लिए पशुपालन विभाग एवं स्वयंसेवी संस्थाओं के समन्वय से विशेष पक्षी चिकित्सा शिविर' आयोजित किए जाएं। हेल्पलाइन नंबर जारी कर उसका व्यापक प्रचार-प्रसार भी सुनिश्चित किया जाए।
हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित