सुल्तानपुर लोधी , नवंबर 26 -- मंड इलाके के बाऊपुर में, जहां कभी भयानक बाढ़ ने भारी तबाही मचाई थी, वहां अब किसान धीरे-धीरे सामान्य ज़िंदगीमें लौट रहे हैं। दस और 11 अगस्त की रात को भैणी कादर बख्श गांव के पास ब्यास नदी का बना अस्थायी बांध टूट गया था। इस भयंकर बाढ़ ने किसानों की कटाई के लिए तैयार धान की पूरी फसल बहा दी थी। इसी गांव के तीन भाइयों की ज़मीन पर तीन एकड़ में 50 फुट से ज़्यादा गहरा गड्ढा हो गया था। इस बड़े गड्ढे को भरने के लिए राज्यसभा सदस्य संत बलबीर सिंह सीचेवाल के नेतृत्व में रोज़ाना 100 से ज़्यादा ट्रैक्टर चले। इसे पूरी तरह भरने में 10 दिन लगे और करीब 70 लाख रुपये का डीज़ल खर्च हुआ।

संत सीचेवाल ने बुधवार को बताया कि हरियाणा के सिरसा के तीन गांवों से किसान बाबा जसविंदर सिंह और बाबा जीत सिंह के नेतृत्व में 16 ट्रैक्टर लेकर आये थे। उन्होंने 15 दिनों तक इलाके में सेवा की और अपने साथ डीज़ल भी लाये थे। आज संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने खुद उन खेतों में गेहूं बोया। खुद ट्रैक्टर चलाकर उन्होंने किसान इंदरजीत सिंह के खेतों में गेहूं बोया। यह ज़मीन उस बांध के पास है, जहां पहले दरार आयी थी। इसके साथ ही, ट्रैक्टर अभी 30-35 और खेतों को समतल कर रहे हैं, और आने वाले दिनों में वहां भी गेहूं की बुआई की जाएगी।

किसान जसबीर सिंह ने कहा कि संत सीचेवाल की कोशिशों की वजह से 150 एकड़ से ज़्यादा में गेहूं की बुआई हो चुकी है। उन्होंने कहा कि बाढ़ के दौरान न सिर्फ़ फ़सलें और घर बर्बाद हुए, बल्कि उम्मीदें भी टूट गईं। फिर भी, संत सीचेवाल ने किसानों को प्रेरित किया और भावनात्मक रूप से उनका साथ दिया।इस मौके पर किसानों ने उनका शुक्रिया अदा किया, जिनकी कोशिशों से इलाका पटरी पर लौट आया है।

राज्य सभा सदस्य संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने कहा कि बाढ़ से प्रभावित खेतों को समतल करने और गेहूं की बुआई का काम अभी भी चल रहा है। कई इलाकों में समतलीकरण का काम जारी है। कुछ किसानों को अपने जानवरों के लिए चारा भी बोना है। गेहूं की और बुआई अभी बाकी है। उन्होंने बाढ़ के दौरान बहुत मदद करने वाले प्रवासी भारतीयों का शुक्रिया अदा किया। आपदा को आये हालांकि चार महीने से ज़्यादा हो गये हैं, लेकिन कई किसान अभी भी अपने खेतों से रेत पूरी तरह हटने का इंतज़ार कर रहे हैं।

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