श्रीगंगानगर , दिसम्बर 17 -- राजस्थान में श्रीगंगानगर जिले के समेजा कोठी थाना क्षेत्र में पाकिस्तान सीमा के निकट स्थित गांव भोमपुरा में एक गौशाला में बड़ी संख्या में गौवंश की मौतें होने का मामला सामने आया है।
इस गौशाला को करीब 11 वर्ष पहले जन सहयोग से स्थापित किया गया था, लेकिन प्रबंधन की कथित लापरवाही के कारण यहां काफी संख्या में गायों की मौतें होने की घटना ने स्थानीय ग्रामीणों में भारी आक्रोश पैदा कर दिया है। गौशाला के तथाकथित अध्यक्ष पालाराम बिश्नोई ने घटना की जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए बुधवार को तत्काल इस्तीफा दे दिया, जबकि ग्रामीण उच्च स्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं।
घटना की सूचना मिलते ही प्रशासन और पुलिस के अधिकारी मौके पर पहुंच गए। अनूपगढ़ से अतिरिक्त जिला कलेक्टर भी घटनास्थल की ओर रवाना हो चुके हैं। मौके पर पहुंचे एक प्रशासनिक अधिकारी ने पालाराम बिश्नोई के इस्तीफे को स्वीकार करते हुए ग्राम पंचायत के सरपंच को गौशाला की जिम्मेदारी सौंप दी है। हालांकि इस्तीफे के बावजूद ग्रामीणों का गुस्सा शांत नहीं हुआ है। वे जिला प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि गौशाला में प्रबंधन की लापरवाही के कारण कितनी गायों की मौत हुई, इसकी उच्च स्तरीय जांच करवाई जाए।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह गौशाला 2014 में दो ग्राम पंचायतों के लोगों ने आपसी सहयोग से स्थापित की थी। इसे सरकारी जमीन पर शुरू किया गया था और शुरुआत में इसका संचालन सुचारू रूप से चल रहा था, लेकिन दो वर्ष बाद गौशाला का प्रबंधन रायसिंहनगर नगर निवासी पालाराम बिश्नोई को सौंप दिया गया। शुरूआती दिनों में गौशाला का प्रबंध ठीक-ठाक रहा, लेकिन धीरे-धीरे इसमें अनियमितताएं और गड़बड़ियां सामने आने लगीं।
ग्रामीणों का आरोप है कि जब भी उन्होंने गौशाला में गायों की संख्या, हिसाब-किताब या अन्य जानकारी मांगी, तो अध्यक्ष पालाराम ने कभी कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। वे गौशाला में किसी बाहरी व्यक्ति को प्रवेश नहीं करने देते थे। पूछताछ पर हमेशा यही कहते थे कि उन्होंने गौशाला में लाखों रुपये लगाए हैं और अगर कोई इसे संभालना चाहता है तो पहले उनकी राशि वापस की जाए। इस तरह की रवैये के कारण ग्रामीणों में पहले से ही असंतोष पनप रहा था, लेकिन मौतों का खुलासा होने के बाद स्थिति विस्फोटक हो गई।
गायों की मौतों का खुलासा आज दोपहर बाद हुआ, जब किसी व्यक्ति की नजर गौशाला के पीछे की जमीन पर पड़ी। पुलिस सूत्रों के अनुसार गौशाला के पीछे बड़े-बड़े खड्डे खोदे गए हैं, जिनमें काफी संख्या में मृत गोवंश पड़े मिले। कई गायों के शव सड़-गल चुके हैं, जो दर्शाता है कि मौतें पिछले कई दिनों से हो रही हैं। सूत्रों का कहना है कि रोजाना दो से तीन गायों की मौत हो रही है और मृत गायों को इन खड्डों में फेंक दिया जाता था। जब शव सड़ने लगते थे तो ऊपर से मिट्टी डालकर ढक दिया जाता था। इस तरह कई खड्डे खुदे हुए हैं, जिनमें मृत गोवंश दफन हैं।
देर शाम होने के कारण अंधेरा हो गया था, जिससे सही स्थिति का आकलन मुश्किल हो रहा है। मौके पर पुलिस बल तैनात किया गया है और प्रशासन के अधिकारी सही संख्या और स्थिति का जायजा ले रहे हैं।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक गौशाला में भारी गंदगी व्याप्त है। सूखे और हरे चारे की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है और अत्यधिक सर्दी के मौसम में गायों को ठंड से बचाने के लिए कोई उचित बंदोबस्त नहीं किया गया है। इसी कारण रोजाना गायों की मौत हो रही है। अध्यक्ष पालाराम बिश्नोई से पूछताछ में भी यह स्पष्ट नहीं हो सका कि वर्तमान में गौशाला में कितनी गायें हैं और अब तक कितनी की मौत हो चुकी है। घटना के खुलासे के बाद उसने तत्काल इस्तीफा देकर अपना पल्ला झाड़ लिया।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि अगर कोई औपचारिक शिकायत दर्ज कराई जाती है तो आपराधिक मामला दर्ज किया जाएगा। फिलहाल प्रशासन पूरे मामले की जांच कर रहा है। इस घटना ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है। श्रीकरनपुर से कांग्रेस विधायक और जिलाध्यक्ष रूपेंद्र सिंह रूबी समेत कई कांग्रेसी नेता कल भोमपुरा पहुंचकर गौशाला की वास्तविक स्थिति का जायजा लेंगे।
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