भोपाल , अक्टूबर 6 -- भोपाल जिला अदालत के डी.जे. कोर्ट में सोमवार को यूनियन कार्बाइड गैस त्रासदी से जुड़े भारतीय दोषियों की आपराधिक अपील पर सुनवाई हुई। यह सुनवाई धारा 464 सीआरपीसी के तहत दाखिल याचिका पर अंतिम बहस के रूप में हुई, जो पिछले तीन वर्षों से लंबित थी।
आज हुई पेशी में दोषी अधिकारियों जे. मुकुंद, एस.पी. चौधरी और किशोर कामदार के वकील अनिर्बान राय ने 92 पृष्ठों की बहस का सार प्रस्तुत करते हुए अपनी दलीलें रखीं। वहीं गैस पीड़ित संगठनों ने भी न्यायालय से अपने लिखित पक्ष पेश करने के लिए समय मांगा, जिसे अदालत ने स्वीकार करते हुए 13 अक्टूबर तक का समय दिया।
उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने पिछले माह निचली अदालतों को गैस कांड से संबंधित आपराधिक मामलों की त्वरित सुनवाई सुनिश्चित करने और हर माह उसकी रिपोर्ट मुख्य न्यायाधीश को भेजने के निर्देश दिए थे।
गौरतलब है कि 2-3 दिसंबर 1984 को हुए यूनियन कार्बाइड गैस हादसे में आठ भारतीय अधिकारियों को आईपीसी की धारा 304-ए और अन्य धाराओं के तहत दोषी ठहराते हुए 7 जून 2010 को दो वर्ष की सजा सुनाई गई थी। सभी को उसी दिन जमानत मिल गई थी और 2011 से यह अपील भोपाल की सत्र अदालत में लंबित है।
इस बीच, चार दोषियों की वृद्धावस्था के कारण मृत्यु हो चुकी है। अब उम्मीद जताई जा रही है कि नवंबर 2025 तक इस 464 सीआरपीसी याचिका पर फैसला आ सकता है, जिससे मूल आपराधिक अपील की सुनवाई आगे बढ़ सकेगी। गैस पीड़ितों के लिए लड़ाई लड़ रही समाजसेवी रचना ढींगरा का कहना कि भोपाल गैस कांड को 41 वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन इंसाफ का इंतजार अब भी जारी है।
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