भुवनेश्वर , नवंबर 01 -- ओडिशा के भुवनेश्वर में दो दिवसीय राष्ट्रीय हथकरघा और हस्तशिल्प सम्मेलन शनिवार को समापन हो गया।
यह सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान और पूरे भारत में हथकरघा तथा हस्तशिल्प क्षेत्र को मज़बूत करने के लिए नयी योजनाओं के निर्माण के वास्ते एक प्रभावी मंच के रूप में कार्य करेगा।
सम्मेलन में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों ने सक्रिय भागीदारी की। इस अवसर पर केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय की सचिव नीलम शम्मी राव ने सभी प्रतिभागियों की सहयोगात्मक भावना की सराहना की और इस क्षेत्र के समग्र विकास को सुनिश्चित करने के लिए राज्यों और केंद्रीय एजेंसियों के बीच एक समन्वित दृष्टिकोण का आह्वान किया।
उन्होंने कारीगरों और बुनकरों की स्थायी आजीविका के लिए प्रौद्योगिकी अपनाने, क्लस्टर-आधारित विकास और बाजार विविधीकरण के महत्व पर भी ज़ोर दिया।
उन्होंने कहा, "तैयार उत्पादों की बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित करते हुए समय, ऊर्जा और प्रयास को कम करने के लिए बुनकरों और कारीगरों को आधुनिक टूलकिट प्रदान किए जाने चाहिए।"उन्होंने आगे कहा, "हमें कारीगरों और सरकार के बीच की दूरी को कम करना होगा। इस क्षेत्र के पुनरुत्थान के लिए क्लस्टर-आधारित विकास, डिज़ाइनरों की बढ़ती भागीदारी, ऑनलाइन मार्केटिंग और आक्रामक प्रचार आवश्यक हैं।"राज्य की विकास आयुक्त अनु गर्ग ने पारंपरिक शिल्प कौशल को आधुनिक नवाचार के साथ मिश्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
विकास आयुक्त गर्ग ने इस बात पर प्रकाश डाला कि हथकरघा और हस्तशिल्प न केवल ग्रामीण भारत की आर्थिक रीढ़ हैं, बल्कि राष्ट्र की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत की जीवंत पहचान भी हैं।
कारीगरों के सम्मान और कल्याण का आह्वान करते हुए, उन्होंने बुनियादी ढाँचे के विकास, कच्चे माल की आपूर्ति श्रृंखला को मज़बूत करने, नए गोदामों के निर्माण और प्रशिक्षण, संरक्षण तथा बाज़ार समर्थन के लिए मध्यस्थ संस्थानों के निर्माण पर ज़ोर दिया।
वहीं, विकास आयुक्त गर्ग ने कहा कि आधुनिक डिज़ाइन, बेहतर पैटर्न और उभरते बाज़ारों से परिचित कराकर अगली पीढ़ी को इस क्षेत्र में लाया जाना चाहिए। उन्होंने भारतीय हथकरघा और हस्तशिल्प की वैश्विक उपस्थिति बढ़ाने के लिए एक वार्षिक प्रदर्शनी कैलेंडर और निर्यात संवर्धन पर अधिक ध्यान केंद्रित करने का भी आह्वान किया।
सम्मेलन में विकास आयुक्त (हथकरघा) एम. बीना और विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) अमृत राज ने भी विचार-विमर्श किया, जिन्होंने उत्पादन बढ़ाने, बाज़ार संपर्क बढ़ाने और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय पहलों और रणनीतियों पर अपनी राय साझा की।
समारोह को संबोधित करते हुए, राज्य के हथकरघा, वस्त्र एवं हस्तशिल्प विभाग की सचिव गुहा पूनम तपस कुमार ने इस क्षेत्र में ओडिशा की व्यापक विकास पहलों पर प्रकाश डाला।
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