भीलवाड़ा , दिसम्बर 29 -- राजस्थान में अरावली को लेकर अरावली बचाओ आंदोलन और प्रदर्शन किए का रहे हैं लेकिन जिले में अरावली पर्वत श्रृंखला को लगातार नुकसान पहुंचाया जा रहा है जिसके लिये अब तक किसी ने आवाज नहीं उठाई है।
भीलवाड़ा शहर की सीमा से सटे क्षेत्रों के साथ ही बिजौलिया इलाके में खनन ठेकेदारों द्वारा डायनामाइट से पहाड़ों को तोड़ा जा रहा है। इन तेज विस्फोटों से न केवल अरावली का प्राकृतिक स्वरूप तेजी से खत्म हो रहा है, बल्कि आसपास के गांवों में रहने वाले लोग भी भय के साए में जीने को मजबूर हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इससे मेजा बांध की सुरक्षा पर भी खतरा मंडरा रहा है।
ग्रामीणों के अनुसार स्पष्ट सीमांकन नहीं होने का फायदा उठाकर दिन में निर्धारित सीमा के भीतर और रात के समय सीमा से बाहर अवैध खनन किया जा रहा है। इस गंभीर स्थिति के बावजूद जिम्मेदार विभागों की ओर से अब तक कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे खनन माफिया के हौसले बढ़ते जा रहे हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार भीलवाड़ा शहर से सटे दरीबा, समोड़ी और पांसल क्षेत्र में राजस्व रिकॉर्ड में पहाड़ के रूप में दर्ज भूमि पर बड़े पैमाने पर खनन हो चुका है। इन इलाकों में अब पहाड़ों की जगह गहरे गड्ढे और पानी से भरे तालाब दिखाई दे रहे हैं। ग्रामीणों का दावा है कि कई स्थानों पर करीब सौ फुट तक पहाड़ को खोद दिया गया है। इन क्षेत्रों में खनन पट्टों के साथ क्रेशर लगाए गए हैं, जहां दिन रात काम चल रहा है।
सीमा निर्धारण के लिए लगाई गई मुड्डियों को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि ये मुड्डियां सुविधानुसार आगे पीछे की गई हैं, जिससे असली सीमा को लेकर भ्रम बना हुआ है और अवैध खनन को बढ़ावा मिल रहा है।
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