बीकानेर (राजस्थान) , नवंबर 26 -- खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स राजस्थान 2025 में अरुणाचल प्रदेश के 19 वर्षीय गोलोम टिंकू ने पुरुषों के 60 किग्रा भारवर्ग में स्वर्ण पदक जीता। वहीं महिलाओं की 48 किग्रा वर्ग में रिंकी नायक का रजत पदक अपने नाम किया।
वली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (एलपीयू) का प्रतिनिधित्व करते हुए गोलोम टिंकू ने मंगलवार को कुल 256 किग्रा (स्नैच 112 किग्रा; क्लीन एंड जर्क 144 किग्रा) वजन उठाकर स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने अपने नजदीकी प्रतिद्वंद्वी चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के खुम्भेस्वर मलिक (223 किग्रा) से 33 किग्रा अधिक वजन उठाया जबकि सीटी यूनिवर्सिटी के सचिन कुल 214 किग्रा वजन के साथ कांस्य पदक ही हासिल कर सके।
19 वर्ष की उम्र में ही उन्हें भारी मुश्किलों से गुजरना पड़ा। 2016 में अरुणाचल प्रदेश के कामले जिले के अपने गोडक गाँव में एक हादसे में उनके पिता का निधन हो गया था। उसी दौरान उन्होंने वेटलिफ्टिंग की बुनियादी ट्रेनिंग शुरू ही की थी। पांच भाई-बहनों में तीसरे नंबर के गोलोम अपने बड़े भाई और बहन से प्रेरित थे। उन्होंने तीन साल तक स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) के नाहरलागुन कैंपस में प्रशिक्षण लिया और फिर सेकंदराबाद के एओसी सेंटर में शिफ्ट हो गए।
स्वर्ण जीतने के बाद गोलोम ने साई मीडिया से कहा, "मेरी बहन वहां कराटे करती थी और बड़ा भाई बैडमिंटन खेलता था। मैं सिर्फ उन्हें देखने जाता था। एक दिन एक कोच ने मुझसे पूछा-क्या तुम वेटलिफ्टिंग करना चाहोगे बस यहीं से मेरी यात्रा शुरू हुई।"अब तक गोलोम एशियाई चैम्पियनशिप में तीन पदक (एक रजत, दो कांस्य) जीत चुके हैं। इसके अलावा, उन्होंने कॉमनवेल्थ वेटलिफ्टिंग चैम्पियनशिप 2023 में कुल 230 किग्रा वजन उठाकर स्वर्ण पदक भी जीता। इस समय गोलोम पुणे के आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट में प्रशिक्षण ले रहे हैं। उनका मानना है कि खेलों इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स 2025 में भाग लेना आगामी सीनियर नेशनल्स से पहले उनके लक्ष्यों में शामिल एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि थी। गोलम ने कहा, "यह मेरे लिए पहला खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स था और स्वर्ण पदक जीतना हमेशा विशेष होता है। लेकिन मेरा काम अभी पूरा नहीं हुआ है।"वहीं अपने पहले केआईयूजी में बेरहामपुर विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व करते हुए 23 वर्षीय रिंकी ने महिलाओं की 48 किग्रा वर्ग में रजत पदक जीतने के लिए कुल 149 किग्रा (63 किग्रा स्नैच; 86 किग्रा क्लीन एंड जर्क) उठाया, जो बीकानेर में महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के इनडोर हॉल में आयोजित शिवाजी विश्वविद्यालय की काजोल मगदेव सरगर (158 किग्रा) से पीछे और चंडीगढ़ विश्वविद्यालय की रानी नायक (148 किग्रा) से आगे रही।
यह उपलब्धि उसके प्रतियोगिता के कुल वजन से कहीं अधिक भारी थी। 24 जुलाई, 2020 को, प्रशिक्षण से घर लौटने पर, रिंकी की जिंदगी एक पल में बदल गई जब उसने पाया कि उसके पिता- नीलाद्री नायक ने अपनी जान ले ली है। पारिवारिक दबाव का बोझ उनके लिए असहनीय हो गया था नीलाद्री शुरू से ही उसके साथ खड़ी रही, स्कूल एथलेटिक्स में और बाद में जब उसने वेटलिफ्टिंग शुरू की, तब भी उसे हिम्मत दी।
रिंकी के लिए केआईयूजी राजस्थान में जीता गया रजत पदक इस साल की शुरुआत में अस्मिता वेटलिफ्टिंग लीग में स्वर्ण जीतने के बाद आया है। 2020 की दुखद घटना ने उसके करियर को कुछ सालों के लिए लगभग पटरी से उतार दिया था, लेकिन दोस्तों और कोच से मिले मोटिवेशन ने उसे स्पोर्ट पर फिर से फोकस करने में मदद की।
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