नई दिल्ली , नवंबर 28 -- प्रख्यात बुद्धिजीवी और पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ. कर्ण सिंह ने शुक्रवार को कहा कि भारत की ताकत उसकी बहुलता में है, इसलिये सभी देशवासी को सहयोग और सामंजस्य की भावना से काम करना चाहिये।

श्री सिंह ने यह बात यहां अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय केंद्र में आयोजित इंडियन ट्रस्ट फॉर रूरल हेरिटेज एंड डेवलपमेंट (आईटीआरएचडी ) के उद्घाटन के अवसर पर कही। इस दौरान आईटीआरएचडी जर्नल ऑन बौद्ध स्टडीज का विमोचन किया गया।

श्री सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि आज बौद्ध धर्म के अनुयायी कम हैं, फिर भी भारत हमेशा बुद्ध की भूमि रहेगा। उन्होंने आगे कहा कि बौद्ध धर्म देश की सांस्कृतिक धरोहर पर गहरा प्रभाव डाला है। उन्होंने ग्रामीण बौद्ध स्थलों के संरक्षण के प्रयासों का स्वागत करते हुए जोर दिया कि स्थानीय समुदायों को इसे अपनी धरोहर मानना चाहिए।

इस अवसर पर आईटीआरएचडी के अध्यक्ष एसके मिश्रा ने संस्था द्वारा ग्रामीण धरोहर स्थलों के पुनरोद्धार के प्रयासों को साझा किया। उन्होंने बताया कि आंध्र प्रदेश में पांच एकड़ भूमि नए अकादमी के लिए आवंटित की गई है, जो ग्रामीण बौद्ध धरोहर के संरक्षण और विकास के लिए समर्पित होगी।

धर्माचार्य शान्तुम सेठ ने ग्रामीण क्षेत्रों में शिल्पकारों द्वारा पत्थर और वस्त्र कार्य से लेकर स्थानीय पाककला तक की परंपराओं को संरक्षित करने की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए बताया कि बौद्ध धरोहर का पुनरुद्धार "संगठित कार्य" है, जिसमें सभी को शामिल होना चाहिए।

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