नयी दिल्ली/ जिनेवा , अक्टूबर 22 -- वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने जिनेवा में बुधवार से शुरू हुये संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन (अंकटाड) में भारत की विकास यात्रा को एक आदर्श के रूप में प्रस्तुत करते हुए कहा कि देश अपने विकास के लक्ष्यों को पूरा करने के साथ साथ स्वस्थ विकास और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने की अपनी राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं पर मजबूती से काम कर रहा है।
श्री गोयल ने 20-23 अक्टूबर तक आयोजित अंकटाड के 16वें सम्मेलन के एक सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि भारत ने गरीबी उन्मूलन, मांग-आधारित विकास और बुनियादी ढाँचे के विकास हेतु केंद्रित प्रयासों पर विशेष ध्यान दिया है। उन्होंने भारत की विकास यात्रा को एक आदर्श मॉडल के रूप में प्रस्तुत करते हुए कहा कि देश स्वस्थ विकास और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये प्रतिबद्ध है।
श्री गोयल ने कहा कि विश्च के लिये आर्थिक वृद्धि के समावेशी परिणाम सुनिश्चित करने और इसके लिए नये नये समाधान खोजे जाने की जरूरत है। वाणिज्य मंत्री ने दक्षिणी गोलार्ध के विकासशील देशों के बीच सहयोग के महत्व पर बल देते हुये कहा कि विकास के प्रयासों में व्यापार की भूमिका एक महत्वपूर्ण उपकरण की है।
डिजिटल विभाजन के अंतराल को कम करने के मुद्दे पर श्री गोयल ने डिजिटल सशक्तिकरण और समाज के सभी वर्गों में विकास को बढ़ावा देने की पहलों में भारत की उल्लेखनीय प्रगति का उल्लेख किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, " साथ ही, मैंने 'सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास, सबका विश्वास' और 'वसुधैव कुटुम्बकम' के भारत के दृष्टिकोण के बारे में भी बात की, ठोस, दीर्घकालिक समाधानों की आवश्यकता और व्यापार-आधारित विकास एवं सतत विकास को आगे बढ़ाने में संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास (अंकटाड) की महत्वपूर्ण भूमिका पर ज़ोर दिया।"श्री गोयल ने कहा कि पिछले तीन वर्षों से भारत के सकल घरेल उत्पाद में वर्ष प्रति वर्ष 7 प्रतिशत से अधिक की औसत दर से वृद्धि हो रही है और देश सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था है। भारत हर आठ साल में अपनी अर्थव्यवस्था को दोगुना कर रहाहै। पिछले दशक में करोड़ों लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है जो मध्य वर्ग में शामिल हो कर आय और माँग को बढ़ावा दे रहे हैं।
श्री गोयल ने स्वस्थ विकास की राह पर भारत की नेतृत्वकारी भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि इस समय देश में बिजली की आधी जरूरत नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से आती है। वर्तमान स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन क्षमता 250 गीगावाट (2.5 लाख मेगावाट) है और 2030 तक इसे 5,00,000 मेगा वाट करने का लक्ष्य है। भारत जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के विरुद्ध उपाय कर रहा है। दुनिया की 17 प्रतिशत आबादी की संभालने के बावजूद वैश्विक उत्सर्जन के केवल 3.5 प्रतिशत के लिए भारत जिम्मेदार है।
उन्होंने कहा कि विकसित देशों ने पेरिस समझौते की प्रतिबद्धताओं को पूरा नहीं किया है, जिसमें 100 अरब डॉलर की सस्ती दर वाली दीर्घकालिक कर्ज सहायता और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की प्रतिबद्धताएं शामिल हैं। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन का बोझ दूसरे पर डालने या व्यापार में पर्यावरणीय शर्तों का लगाया जाना भारत को स्वीकार्य नहीं है। श्री गोयल ने सतत विकास के लिए एक समर्पित दृष्टिकोण पर ज़ोर दिया। इसमें अनुकूलित, कार्यान्वयन योग्य समाधान शामिल हैं।
श्री गोयल ने वास्तविक समाधानों के लिए विकासशील देशों के बीच सहयोग का आह्वान करते हुए कहा कि महत्वपूर्ण खनिजों तक पहुँच, उर्वरक और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन जैसे क्षेत्र इसमें शामिल हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के माध्यम से तकनीकी अंतर को पाट रहा है जो लाखों लोगों को सशक्त बनाता है। देश में एक अरब इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं। चैटजीपीटी उपयोगकर्ताओं में यह विश्व स्तर पर दूसरे स्थान पर है। युवा जनसंख्या की औसत आयु 28.5 वर्ष है। लोकतंत्र और विधि का शासन विकास को बढ़ावा देते हैं।
श्री गोयल ने भारत में समावेशी विकास का उल्लेख करते कहा कि देश के उद्यमियों में 14 प्रतिशत महिलाएं हैं और एमएसएमई द्वारा लाखों नौकरियों का सृजन और समर्थन किया जा रहा है। सेवा क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद में 55 प्रतशत का योगदान दे रहा है।
उन्होंने महत्वपूर्ण वैश्विक चुनौतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि वर्तमान चुनौतियां बहुपक्षीय संस्थाओं और नियम-आधारित व्यापार प्रणाली में विश्वास को कम कर रहीं हैं। प्रतिबंधात्मक नीतियों ने सेवा क्षेत्र को प्रभावित किया है। इससे विकासशील देश सबसे ज़्यादा प्रभावित होते हैं। उन्होंने इन मुद्दों पर विकासशील दशों के बीच एकजुटता की जरूरत पर बल दिया।
अंकटाड के 16वें सम्मेलन का विषय है "भविष्य निर्माण: समान, समावेशी और सतत विकास के लिए आर्थिक परिवर्तन को गति देना। सम्मेलन में व्यापार, वित्त और ऋण, निवेश, विकास और डिजिटल अर्थव्यवस्था पर वैश्विक रुझानों और नीतिगत दृष्टिकोणों पर उच्च-स्तरीय संवाद में भाग लेने के लिए सदस्य देशों के व्यापार और आर्थिक मामलों के मंत्री, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के नेता, नागरिक संगठनों के प्रतिनिधि, निजी क्षेत्र, युवा प्रतिभाएं और अपने अपने क्षेत्र के जाने माने विशेषज्ञ जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र के कार्यालय में एकत्रित हुए हैं।
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