नयी दिल्ली/हैदराबाद , अक्टूबर 28 -- केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने मंगलवार को भारत की उल्लेखनीय आर्थिक उन्नति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि देश विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है तथा तीसरे स्थान की ओर अग्रसर है।
श्री पुरी ने तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में आयोजित 28वीं ऊर्जा प्रौद्योगिकी सम्मेलन के दौरान फायरसाइड चैट में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने विभिन्न क्षेत्रों, विशेष रूप से ऊर्जा और इलेक्ट्रॉनिक्स की भूमिका पर चर्चा की तथा आत्मनिर्भरता की दिशा में इनके योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता है और अगले दो दशकों में वैश्विक तेल मांग वृद्धि का एक-तिहाई से अधिक हिस्सा भारत चला रहा होगा। इसके अलावा देश प्रमुख देशों में वैश्विक तेल मांग विस्तार का सबसे बड़ा योगदानकर्ता बनकर उभरेगा। उन्होंने कहा, "यह क्षेत्र देश के कुल कर राजस्व का 19 प्रतिशत योगदान देता है। इस पैमाने पर हमें एक अनूठा लाभ मिलता है: हम वैश्विक स्तर पर बढ़ते रिफाइनिंग बाजारों में से एक हैं।"उन्होंने आगे कहा कि भारत अब 50 देशों को परिष्कृत उत्पाद निर्यात करता है, जिनका मूल्य वित्त वर्ष 2024-25 में 45 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक है। भारत वैश्विक स्तर पर शीर्ष सात निर्यातकों में शुमार है और शीर्ष तीन में प्रवेश करने का आकांक्षी है।उन्होंने कहा, " भारत 40 देशों से कच्चा तेल प्राप्त करता है, जिससे विश्व में सबसे विविधतापूर्ण और लचीली ऊर्जा पोर्टफोलियो में से एक बनती है। भारत की रिफाइनिंग प्रणाली पहले से ही 80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी हो चुकी है, जिसमें घरेलू कंपनियां अब इंजीनियरिंग डिजाइन, फैब्रिकेशन, इंस्ट्रूमेंटेशन और संचालन प्रदान कर रही हैं-यह एक दशक पहले की तुलना में आधी से भी कम थी, जो एक उल्लेखनीय बढ़त है।"श्री पुरी ने कहा, "हमारा रिफाइनरी कैटेलिस्ट बाजार जिसका मूल्य लगभग 1.4 अरब अमेरिकी डॉलर है, अभी भी अपनी मांग का 70-75 प्रतिशत आयात करता है। जो हमें स्थानीय नवाचार और उत्पादन के लिए एक बड़ा अवसर प्रदान करता है। हमारी रिफाइनिंग और पेट्रोकेमिकल क्षेत्र राष्ट्रीय ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ-साथ भारत के औद्योगिक परिवर्तन को आकार दे रहा है। हम एकल रिफाइनरियों से दूर होकर पूरी तरह एकीकृत ऊर्जा और औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र तथा हब की ओर बढ़ रहे हैं जो रिफाइनिंग, पेट्रोकेमिकल्स, ग्रीन हाइड्रोजन और लॉजिस्टिक्स को जोड़ते हैं।"राजस्थान स्थित हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) की रिफाइनरी का उदाहरण देते हुए, जिसकी क्षमता नौ मिलियन टन प्रति वर्ष है और पेट्रोकेमिकल तीव्रता 26 प्रतिशत है, उन्होंने कहा कि यह एक प्रमुख निवेश है जो प्रतिवर्ष हजारों मानव-दिवस रोजगार उत्पन्न करता है और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को परिवर्तित कर रहा है।
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