लखनऊ , अक्टूबर 27 -- एम्स, नई दिल्ली के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग और मानव पोषण इकाई के वरिष्ठ हेपेटोलॉजिस्ट प्रो. शालीमार ने कहा है कि भारत में हर तीसरा व्यक्ति किसी न किसी लिवर संबंधी विकार से ग्रसित है, और मेटाबोलिक डिसफंक्शन एसोसिएटेड स्टियटोटिक लिवर डिजीज (एमएएसएल्डी) आज के समय में क्रोनिक लिवर रोगों का प्रमुख कारण बन गया है।

उन्होंने कहा कि भारत मे मोटापा, मधुमेह और निष्क्रिय जीवनशैली के कारण तेजी से बढ़ रहा है। सोमवार को काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) के 84वें स्थापना दिवस और ट्रांसलेशनल रिसर्च लेक्चर सीरीज़ के अवसर पर सीएसआईआर-केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआई), लखनऊ में "मेटाबोलिक डिसफंक्शन-एसोसिएटेड स्टीटोटिक लिवर डिजीज : एक साइलेंट किलर" विषय पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया।

एम्स, नई दिल्ली के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के वरिष्ठ हेपेटोलॉजिस्ट प्रो. शालीमार ने ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (जीबीडी) 2021 अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि 2050 तक भारत सहित दक्षिण एशिया में मोटापा और अधिक वजन के मामलों में तेज़ वृद्धि देखने को मिल सकती है। यह प्रवृत्ति मेटाबोलिक लिवर डिजीज की बढ़ती घटनाओं से गहराई से जुड़ी है।

प्रो. शालीमार ने कहा कि इस "साइलेंट किलर" से निपटने के लिए जन जागरूकता, जीवनशैली में सुधार और निवारक स्वास्थ्य रणनीतियों को अपनाना आवश्यक है। उन्होंने एमएएसएलडी के शीघ्र निदान, प्रबंधन में नई तकनीकों, और उभरते चिकित्सीय विकल्पों पर भी प्रकाश डाला।

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