नयी दिल्ली , नवम्बर 22 -- भारत ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र में आपदा और जलवायु जोखिमों को कम करने के लिए प्रशांत आपदा सूचना प्रबंधन विकास केंद्र (एपीडीआईएम) और क्षेत्रीय भागीदारों के साथ मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता दोहराई है। समावेशी आपदा जोखिम डेटा शासन पर एशियाई और (एपीडीआईएम) के 10 वें सत्र में भारत की ओर से यह बात कही गयी। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व गृह एवं आपदा प्रबंधन राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने किया। प्रतिनिधिमंडल में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य एवं विभागाध्यक्ष राजेंद्र सिंह और एनडीएमए के सचिव मनीष भारद्वाज भी थे।

श्री राय ने उद्घाटन भाषण में क्षेत्रीय आपदा सहनशीलता और सहयोग के लिए भारत की प्रतिबद्धता पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत इस केन्द्र के अध्यक्ष के रूप में जोखिम मूल्यांकन, भू-स्थानिक अनुप्रयोगों, प्रभाव-आधारित पूर्वानुमान, पूर्व चेतावनी प्रसार और जलवायु-सहनशील अवसंरचना नियोजन को शामिल करते हुए एक व्यापक क्षमता निर्माण एजेंडा को आगे बढ़ाएगा।

सत्र के दौरान विचार विमर्श में भारत ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र में आपदा और जलवायु जोखिमों को कम करने के लिए एपीडीआईएम और क्षेत्रीय भागीदारों के साथ मिलकर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। एजेंडा में स्थानीय स्तर पर निवेश, प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल, विश्वविद्यालयों और अनुसंधान केंद्रों के बीच नेटवर्क को बढ़ावा देने, जोखिम डेटा को मजबूत करने और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने पर बल दिया गया है।

सत्र का समापन एशिया-प्रशांत क्षेत्र में आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने और नई रणनीतियों के कार्यान्वयन के लिए साझा प्रतिबद्धता के साथ हुआ। विचार-विमर्श के दौरान, एपीडीआईएम पर पिछले वर्ष की गतिविधियों, अगले वर्ष की गतिविधियों और 2020-2030 की रणनीतिक कार्य योजना पर चर्चा हुई। इस बैठक के परिणाम एपीडीआईएम के समग्र कार्यक्रम का मार्गदर्शन करेंगे और सेंडाई फ्रेमवर्क तथा सतत विकास के 2030 एजेंडे के लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में भी सहयोग करेंगे।

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