भोपाल , नवम्बर 22 -- मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री इन्दर सिंह परमार ने कहा है कि स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष 2047 तक भारत को पुनः विश्वगुरु बनाने में आयुर्वेद की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होगी। आने वाले समय में प्रदेश में आयुर्वेद चिकित्सा अग्रणी स्थान पर होगी, जिसमें प्राध्यापकों और चिकित्सकों का समर्पण निर्णायक भूमिका निभाएगा।
मंत्री श्री परमार शनिवार को मानसरोवर समूह के मानसरोवर आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज में आयोजित एकदिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट कार्यशाला का शुभारंभ करने के बाद संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में विश्वस्तरीय आयुर्वेद महाविद्यालय स्थापित करने जा रही है और इसके लिए चिकित्सकों एवं प्राध्यापकों के पद भी सृजित होंगे।
उन्होंने समस्त आयुर्वेद प्राध्यापकों से आह्वान किया कि भारतीय दर्शन "वसुधैव कुटुम्बकम" के मंत्र को आयुर्वेद की उपचार पद्धति के माध्यम से विश्व तक पहुंचाने में अपनी अहम भूमिका निभाएं। साथ ही भावी वैद्यों और चिकित्सकों में मानवीय दृष्टिकोण विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
कार्यशाला में विश्व आयुर्वेद परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. महेश कुमार व्यास ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंस के बोर्ड ऑफ रिसर्च सदस्य डॉ. किरण टवलारे ने योग्यता और उत्कृष्टता के परिप्रेक्ष्य में मुख्य मानचित्रण प्रस्तुत किया। नागपुर के आईजीपी आयुर्वेद कॉलेज की प्राध्यापक डॉ. कल्पना टवलारे ने खेती और उद्देश्यों की दक्षता पर प्रकाश डाला। मानसरोवर आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अनुराग सिंह राजपूत ने स्वागत भाषण दिया, जबकि मानसरोवर समूह के आयुर्वेद संचालक डॉ. बाबुल ताम्रकार ने आभार व्यक्त किया।
यह कार्यशाला श्री साईं ग्रामोत्थान समिति, मानसरोवर समूह के मानसरोवर आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज, हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर, श्री साईं इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेदिक रिसर्च एंड मेडिसिन तथा विश्व आयुर्वेद परिषद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गई।
कार्यशाला में विश्व आयुर्वेद परिषद के संरक्षक वैद्य गोपाल दास मेहता, मानसरोवर ग्लोबल यूनिवर्सिटी के कुलगुरु डॉ. ए.एस. यादव, डॉ. मनीषा राठी, डॉ. श्रीकांत पटेल, समूह के सीईओ सचिन जैन सहित देशभर से 300 से अधिक प्राध्यापक उपस्थित रहे।
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