उदयपुर , दिसम्बर 08 -- राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने नयी शिक्षा नीति- 2020 को राष्ट्र के विकास का प्राण बताते हुए कहा है कि यह सिर्फ कागजी दस्तावेज नहीं है बल्कि भारत को विश्व गुरू बनाने की आधारशिला है।

श्री देवनानी ने सोमवार को यहां मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय शैक्षणैतर कर्मचारी संघ की ओकर से आयोजित राष्ट्रीय अधिवेशन एवं सेमिनार में नयी शिक्षा नीति पर जनप्रतिनिधियों की सहभागिता विषय पर संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रुप में बोलते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि कस्तूरीरंगन के साथ मिलकर नई नीति को अंतिम रूप देने में उनका भी योगदान रहा है।

उन्होने इसे लागू करने में शिक्षक, शिक्षणेत्तर कर्मचारी और जनप्रतिनिधियों के समन्वित प्रयास की आवश्यकता जताई। विशेषकर जनप्रतनिधियों की भूमिका पर उन्होंने कहा कि जननप्रतिनिधि स्थानीय स्तर की आवश्यकता के अनुरूप सुझाव देते हैं जिससे नीति निर्धारण की प्रामाणिकता बढ़ती है। नयी नीति में रटने और अंक प्राप्त करने के मैकाले के प्रभाव को समाप्त कर आवश्यकत सुधार सुधार किया गया है। आज बालक की आवश्यकता के अनुरूप तत्व शामिल करते हुए मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने पर जोर दिया गया है। नयी नीति में विश्वविद्यालयों के आधारभूत ढांचे के विकास पर भी जोर दिया गया है।

श्री देवनानी ने अपने उद्बोधन के दौरान कर्मचारी संघ को इस तीन दिवसीय आयोजन के दौरान तीन संकल्प लेकर लौटने का अनुरोध किया। राजस्थान के सभी विश्वविद्यालय 2026 तक नई शिक्षा नीति 2020 के प्रावधानों को मूर्त रूप देंगे। शैक्षणेत्तर कर्मचारियों को शिक्षा प्रणाली के केंद्र में रखेंगे तथा जनप्रतिनिधियों व विश्वविद्यालय के बीच आदर्श संबंध स्थापित करेंगे। वार्ता, सहभागिता और साझा लक्ष्यों के साथ आगे बढ़ने का मंत्र देते हुए उन्होने कहा कि निर्णय प्रक्रिया में जनप्रतिनिधियों को शामिल करना चाहिए। विश्वविद्यालय सद्नागरिक तैयार करें और रोजगारपरक शिक्षा के केंद्र बनें। विश्वविद्यालय राजनीति का केंद्र ना बने तो नयी शिक्षा नीति के लागू करने में और अधिक आसानी होगी।

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