ऋषिकेश , दिसम्बर 15 -- भारत की यात्रा पर आये रूसी प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख मिखाइल अस्लोव ने कहा कि उनकी इस यात्रा में भारतीय संस्कृति, आध्यात्म, जीवन-दर्शन को गहराई से समझने का अवसर मिला है।
श्री अस्लोव ने पूज्य स्वामी जी के सान्निध्य में बैठकर उन्हें जीवन का उद्देश्य क्या है, जीवन का वास्तविक अर्थ क्या है, हम क्यों हैं और जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना कैसे करें इन सभी गहन जिज्ञासाओं के स्पष्ट एवं सार्थक उत्तर मिला है।
भारत की लगभग 15 दिनों की विविधतापूर्ण यात्रा के उपरांत रूसी प्रतिनिधिमंडल ने अपनी यात्रा का भावपूर्ण विराम हिमालय की गोद में, माँ गंगा के पावन तट पर स्थित विश्वविख्यात परमार्थ निकेतन आश्रम में किया। यह यात्रा-विराम केवल एक ठहराव नहीं, बल्कि आत्मिक शांति, सांस्कृतिक संवाद और आध्यात्मिक अनुभूति का सजीव अनुभव बन गया। प्रतिनिधिमंडल ने ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आधुनिक स्थलों का भ्रमण किया, किंतु परमार्थ निकेतन में उन्हें जो आंतरिक शांति और दिव्यता का अनुभव हुआ, यह वास्तव में अद्वितीय है।
स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि आज की वैश्विक चुनौतियों, चाहे वे पर्यावरणीय हों, सामाजिक हों या मानसिक, का समाधान केवल बाहरी विकास में नहीं, बल्कि आंतरिक जागरूकता और करुणा में निहित है। उन्होंने भारत की सनातन संस्कृति का उल्लेख करते हुए बताया कि "वसुधैव कुटुम्बकम्" का भाव आज के विश्व के लिए अत्यंत प्रासंगिक है, जहाँ संपूर्ण मानवता एक परिवार के रूप में एक-दूसरे के प्रति उत्तरदायी है।
रूसी प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने यह भी साझा किया कि भारत की इस यात्रा में उन्हें भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और जीवन-दर्शन को गहराई से समझने का अवसर मिला, और परमार्थ निकेतन में बिताया गया समय उनकी इस यात्रा का सबसे भावनात्मक और आत्मिक पड़ाव रहा। उन्होंने कहा भविष्य में भारत और रूस के बीच सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और मानवीय संवाद और अधिक सुदृढ़ होगा।
श्री अस्लोव ने कहा कि पूज्य स्वामी जी के सान्निध्य में बैठकर उन्हें जीवन का उद्देश्य क्या है, जीवन का वास्तविक अर्थ क्या है, हम क्यों हैं और जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना कैसे करें। इन सभी गहन जिज्ञासाओं के स्पष्ट एवं सार्थक उत्तर प्राप्त हुए। यहाँ आकर जीवन से जुड़ी अनेक जिज्ञासाओं का समाधान मिला तथा आत्मचिंतन, शांति और सकारात्मक दिशा प्राप्त हुई, जिसने उनके दृष्टिकोण को गहराई से रूपांतरित कर दिया।
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