पटना, सितंबर 25 -- बिहार कला, संस्कृति एवं युवा विभाग तथा भारतीय नृत्य कला मंदिर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कला समागम 2025 का चौथा और अंतिम दिन "दशहरा महोत्सव" के रूप में मनाया गया।

समापन दिवस की प्रस्तुतियां भारतीय संस्कृति की विविधता और समृद्ध परंपराओं का जीवंत प्रतिबिंब रहीं। कार्यक्रम का आरंभ मनोरंजन ओझा एवं उनकी टीम द्वारा पारंपरिक लोकगीतों की प्रस्तुति से हुआ। इसमें देशभक्ति, देवी भक्ति तथा रामायण की चौपाइयों का मनमोहक समावेश किया गया, जिसने दर्शकों को भावविभोर कर दिया।इसके बाद, प्रसिद्ध मंच संचालिका एवं नृत्य शिक्षिका सोमा चक्रवर्ती के निर्देशन में छात्र-छात्राओं ने झिझिया-नवरात्रि का पारंपरिक लोकनृत्य - प्रस्तुत किया, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा।

इसके बाद भरतनाट्यम विभाग की प्रस्तुति में सुदीपा घोष के नृत्य नियोजन में महिषासुरमर्दिनी नृत्य-नाटिका का मंचन हुआ। इस अद्वितीय प्रस्तुति में छात्राओं की सजीव भाव-भंगिमाओं और नृत्य कौशल ने माहौल को पूरी तरह दैवीय बना दिया।

मुख्य आकर्षण रही कोलकाता की सुप्रसिद्ध नृत्यांगना सुश्री पायल चक्रवर्ती द्वारा प्रस्तुत रामायण आधारित नृत्य-नाटिका। इसमें सीता स्वयंवर, राम-वनवास, सीता हरण तथा रावण वध जैसे प्रमुख प्रसंगों को भावपूर्ण नृत्य, सटीक अभिनय एवं परंपरागत नृत्य शैलियों के माध्यम से अत्यंत सजीव रूप में प्रस्तुत किया गया। राम, सीता और रावण के चरित्रों को मंच पर जीवंत होते देख दर्शकगण भावविभोर हो उठे। प्रस्तुति के समापन पर सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

कार्यक्रम में श्रीमती रूबी कुमारी, निदेशक, संस्कृति कार्य निदेशालय सुश्री कहकशां, प्रशासी पदाधिकारी, सुश्री कृति आलोक, जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी, अजय कुमार झा, उपमहालेखाकार तथा सैकड़ों दर्शक और छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।

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