कोच्चि , अक्टूबर 07 -- आईबीएम इंस्टीट्यूट फॉर बिज़नेस वैल्यू के एक नए अध्ययन से यह तथ्य सामने आया है कि 67 प्रतिशत भारतीय उद्यम अगले दो वर्षों के भीतर एक मुख्य एआई अधिकारी (सीएआईओ) नियुक्त करने की योजना बना रहे हैं, जो संरचित एआई शासन और नेतृत्व ढाँचे के निर्माण के लिए देश की बढ़ती प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

अध्ययन के मुताबिक वर्तमान में 25 प्रतिशत भारतीय संगठनों में पहले से ही एक सीएआईओ कार्यरत है, एक ऐसी भूमिका जो तकनीकी पद से तेज़ी से उद्यम रणनीति के एक केंद्रीय स्तंभ के रूप में विकसित हुई है। देश में 77 प्रतिशत सीएआईओ को शीर्ष प्रबंधन का समर्थन प्राप्त है, जिनमें से 67 प्रतिशत अपने सीईओ से सीधे समर्थन प्राप्त होने की रिपोर्ट करते हैं।

अध्ययन में कहा गया है कि यह संरेखण उद्यमों को एआई को व्यावसायिक मॉडल में गहराई से समाहित करने, अपनाने में तेज़ी लाने और मापनीय परिणाम प्राप्त करने में मदद कर रहा है। वैश्विक स्तर पर सीएआईओ वाली कंपनियाँ अपने एआई निवेश पर 10 प्रतिशत अधिक रिटर्न प्राप्त कर रही हैं, जो विकास और दक्षता को बढ़ावा देने में आईए नेतृत्व के रणनीतिक मूल्य को रेखांकित करता है।

अध्ययन में पाया गया है कि भारतीय सीएआईओ अपने वैश्विक समकक्षों की तुलना में व्यापक ज़िम्मेदारियाँ ले रहे हैं, एआई रणनीति और कार्यान्वयन से लेकर कार्यबल परिवर्तन तक हर चीज़ की देखरेख कर रहे हैं।

अध्ययन के मुताबिक भारत में 60 प्रतिशत सीएआईओ का अपने संगठन के एआई बजट पर सीधा नियंत्रण है, जिससे एआई खर्च में जवाबदेही और रणनीतिक योजना सुनिश्चित होती है। अध्ययन में बताया गया है कि 67 प्रतिशत भारतीय कंपनियाँ अभी भी एआई कार्यान्वयन के पायलट चरण में हैं, लेकिन मज़बूत कार्यकारी प्रायोजन और उभरते सीएआईओ नेतृत्व से बड़े पैमाने पर अपनाने की दिशा में गति बढ़ने की उम्मीद है। केवल 18 प्रतिशत भारतीय सीएआईओ ने एआई कार्यान्वयन को "बहुत कठिन" बताया, जबकि वैश्विक स्तर पर यह आंकड़ा 30 प्रतिशत था, जो देश में अधिक अनुकूल परिचालन वातावरण की ओर इशारा करता है।

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