जयपुर , दिसंबर 08 -- राजस्थान में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 'कार्यकर्ता सुनवाई कार्यक्रम' को सियासी पाखंड करार देते हुए सोमवार को कहा कि भाजपा में मचे घमासान एवं कार्यकर्ताओं की नाराजगी को दबाने के लिए 'कार्यकर्ता सुनवाई' का नाटक किया जा रहा है।

श्री जूली ने आज यहां अपने बयान में कहा कि यह कार्यक्रम भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं में बढ़ रहे आक्रोश और असंतोष पर लीपापोती करने का एक असफल प्रयास मात्र है। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि पिछली बार शुरू किए गए जनसुनवाई कार्यक्रम को अचानक बिना किसी कारण के बंद क्यों कर दिया गया।

उन्होंने कहा कि प्रदेश के जिलों से लगातार यह फीडबैक मिल रहा है कि भाजपा कार्यकर्ता अपनी ही सरकार में उपेक्षित महसूस कर रहे हैं और उनकी सुनवाई कहीं नहीं हो रही। इस असंतोष की गूंज अब मुख्यमंत्री निवास तक पहुंच चुकी है। उन्होंने कहा "हाल में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के दौरे के दौरान भी कार्यकर्ताओं ने खुले तौर पर अपनी पीड़ा व्यक्त की थी, जिसके वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए। यह प्रमाण है कि भाजपा के अंदर असंतोष जड़ों तक फैल चुका है और अब 'सुनवाई' के नाम पर डैमेज कंट्रोल की कोशिश की जा रही है।"श्री जूली ने आरोप लगाते हुए कहा "वास्तविकता यह है कि राजस्थान में आज शासन नाम की कोई चीज नहीं है। न मंत्रियों की चल रही है, न विधायकों की और न ही संगठन के कार्यकर्ताओं की। जनता तो दूर की कौड़ी है। भाजपा का यह कार्यक्रम नाराज कार्यकर्ताओं को 'मीठी गोली' देने के अलावा कुछ नहीं है।"मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है, लेकिन दो साल बीतने के बाद भी सरकार जिस असमंजस, अनिश्चितता और प्रभावहीनता के दौर से गुजर रही है, वही अब इसकी पहचान बन चुकी है। भाजपा केवल ईवेंट मैनेजमेंट और प्रचार के सहारे अपनी विफलताओं को छिपाना चाहती है लेकिन प्रदेश की जनता सब देख और समझ रही है।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित