बेंगलुरु , नवंबर 13 -- कर्नाटक में बेंगलुरु की महत्वाकांक्षी सुरंग सड़क परियोजना को लेकर विवाद गुरुवार को और गहरा गया, जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद पी सी मोहन ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला और आरोप लगाया कि यह प्रस्ताव 'शहरी विकास की आड़ में जनता के पैसे की लूट के लिए रचा गया एक अवैज्ञानिक, फिजूलखर्ची और भ्रष्ट उपक्रम' है।
श्री मोहन ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह विडंबना ही है कि राज्य सरकार, जो बेंगलुरु की गड्ढों से भरी सड़कों की मरम्मत के लिए धन की कमी का दावा करती है, हज़ारों करोड़ रुपये की लागत से दो भूमिगत सुरंग सड़कों के निर्माण में 'लापरवाही से आगे बढ़ रही है।'उन्होंने कहा, " यह बुनियादी ढांचे का विकास नहीं है। यह प्रगति के नाम पर फिजूलखर्ची है। "श्री मोहन ने आरोप लगाया कि परियोजना को बिना किसी वैज्ञानिक अध्ययन या तकनीकी औचित्य के मंज़ूरी दे दी गयी है।उन्होंने कहा, " कोई यातायात घनत्व विश्लेषण नहीं किया गया है, कोई भूवैज्ञानिक अध्ययन नहीं किया गया है, और कोई सार्वजनिक परामर्श नहीं किया गया है। सरकार ने एक तकनीकी समिति भी नहीं बनायी है। इसके बजाय, उसने अपने ही बीएमआरसीएल के प्रबंध निदेशक, मुख्य अभियंता और दिल्ली के एक निजी सलाहकार से रिपोर्ट मांगी है - ये सभी उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार के इशारे पर नाचते दिख रहे हैं। "उन्होंने तर्क दिया कि सरकार को भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) या भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) जैसे प्रतिष्ठित राष्ट्रीय संस्थानों से पेशेवर समीक्षा करवानी चाहिए थी।
उन्होंने टिप्पणी की, " ऐसे संस्थान स्वतंत्र होते हैं और कभी भी राजनीतिक सुविधा के अनुसार रिपोर्ट नहीं तैयार करेंगे। इस परियोजना में वैज्ञानिक विश्वसनीयता का अभाव है। "श्री मोहन ने आरोप लगाया कि विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) और व्यवहार्यता अध्ययन अल्टिनोक कंसल्टेंट और रोडिक कंसल्टेंट को सौंप दिया गया है - ये दोनों कंपनियां पहले अन्य विफल परियोजनाओं पर 14 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद काली सूची में डाल दी गयी थीं।
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