कोलकाता , नवंबर 13 -- कलकत्ता उच्च न्यायालय ने गुरुवार को सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस नेता मुकुल रॉय को दलबदल विरोधी कानून का उल्लंघन करने के आरोप में पश्चिम बंगाल विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया।

यह देश में ऐतिहासिक पहला मामला है जब किसी विधायक को दलबदल के आधार पर अदालत की ओर से हटाया गया है।

इस फैसले ने विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी के पिछले फैसले को पलट दिया, जिन्होंने विपक्ष द्वारा दायर याचिकाओं पर कार्रवाई करने से इनकार कर दिया था।

न्यायमूर्ति देबांगसु बसाक की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक अंबिका रॉय की ओर से दायर याचिकाओं पर कार्रवाई करते हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा से श्री रॉय की सदस्यता रद्द कर दी।

इस फैसले ने बंगाल विधानसभा अध्यक्ष बनर्जी के श्री रॉय के खिलाफ अयोग्यता याचिका खारिज करने के पिछले फैसले को भी रद्द कर दिया। यह फैसला एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। देश के इतिहास में पहली बार किसी विधायक का पद दलबदल के आधार पर अदालत ने समाप्त किया है। अदालत ने लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष पद पर उनकी नियुक्ति भी रद्द कर दी।

अदालत ने पाया कि मई 2021 के विधानसभा चुनावों में भाजपा के टिकट पर निर्वाचित होने के बाद श्री राय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में शामिल होकर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे थे।

वर्ष 2021 के विधानसभा चुनावों में नदिया जिले के कृष्णानगर उत्तर से भाजपा के टिकट पर निर्वाचित श्री रॉय तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पूर्व विश्वासपात्र थे। सुश्री बनर्जी के पूर्व विश्वासपात्र रॉय फिर से तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए जिसके बाद विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने विधानसभा अध्यक्ष से रॉय को निष्कासित करने की मांग की थी।

अध्यक्ष द्वारा याचिका खारिज किए जाने के बाद श्री अधिकारी ने कलकत्ता उच्च न्यायालय का रुख किया जिसने अंततः दलबदल के आधार पर रॉय को अयोग्य घोषित कर दिया।

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