पटना , नवंबर 28 -- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी- लेनिनवादी) की केंद्रीय कमिटी की समीक्षा बैठक में पार्टी ने चुनावी परिणामों के मूल्यांकन में तीन प्रमुख कारणों को विशेष रूप से रेखांकित किया है।
समीक्षा बैठक में प्रस्तुत विस्तृत विश्लेषण में पार्टी ने विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया से चुनावी माहौल और मतदाताओं पर उल्लेखनीय असर पड़ा। साथ ही जीविका से जुड़ी महिलाओं को 10,000 रुपये दिये जाने को पार्टी ने एक बड़ा कारक बताया, जिसने मतदान के रुझान को प्रभावित किया और चुनावी प्रक्रियाओं में व्यापक अनियमिततायें और कदाचार देखने को मिले। चुनाव आयोग और प्रशासनिक मशीनरी की भूमिका पर भी सवाल उठाये गये। पार्टी ने जीविका की 1,80,000 स्वयंसेविकाओं को चुनाव ड्यूटी पर लगाये जाने को भी पक्षपातपूर्ण कदम बताया।
पार्टी ने कहा है कि बिहार में बने हालात महाराष्ट्र के चुनावी अनुभव से मिलते- जुलते हैं, जहां इसी प्रकार प्रशासनिक हस्तक्षेप, नकदी हस्तांतरण और अन्य कारकों के चलते परिणाम एकतरफा दिशा में चले गए थे।
बैठक में पार्टी महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य, वरिष्ठ नेता स्वदेश भट्टाचार्य और देशभर से आये केंद्रीय कमिटी के सदस्य उपस्थित रहे। साथ ही अध्यक्ष मंडल में पश्चिम बंगाल से अभिजीत मजूमदार, मीणा तिवारी और प्रतिमा इंगहपी सहित अन्य नेताओं ने भी समीक्षा बैठक में भाग लिया।
बैठक के आगामी दो दिनों में रणनीतिक बदलाव, संगठनात्मक मजबूती और जनसंगठनों के साथ तालमेल जैसे मुद्दों पर भी विचार किया जायेगा। पार्टी नेतृत्व का कहना है कि समीक्षा का उद्देश्य केवल परिणामों को समझना नहीं, बल्कि आने वाले राजनीतिक संघर्षों के लिये मार्ग भी स्पष्ट करना है।
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