जयपुर, सितंबर 29 -- राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पिछले आठ महीनों से अन्न का त्याग कर रखा है और उन्होंने नवरात्र में व्रत भी कर रखा है और वह इस दौरान सिर्फ नींबू और नारियल पानी के सहारे पूरे दिन रहते हैं।
श्री शर्मा का कहना है कि व्रत केवल आस्था नहीं बल्कि आत्म-अनुशासन की तपस्या है। यह केवल भूख सहने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि मन और आत्मा की साधना है। उन्होंने अपने जीवन को एक प्रेरक उदाहरण बनाकर दिखाया है कि राजनीति में रहते हुए भी अध्यात्म और सेवा दोनों को संतुलित किया जा सकता है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री ने नवरात्र में व्रत कर रखा हैं और इस दौरान सिर्फ नींबू पानी और नारियल पानी के सहारे पूरे दिन रहते हैं। इसके बावजूद वह नवरात्रि के इन पावन दिनों में भी अपना प्रशासनिक दायित्व पूरी निष्ठा के साथ निभा रहे हैं। उन्होंने इस दौरान अब तक 42 से अधिक कार्यक्रमों में भागीदारी, उद्घाटन, अवलोकन और शिलान्यास किए हैं। इनमें से लगभग 18 बार वे जयपुर से बाहर दौरे पर भी रहे जो यह दर्शाता है कि उनका व्रत, उनकी कार्यक्षमता में बाधा नहीं बल्कि ऊर्जा का स्रोत बन चुका है।
श्री शर्मा ने इस अवसर को एक आध्यात्मिक साधना और आत्म-अनुशासन के रूप में अपनाया है। उनका मानना है कि यह शक्ति उपासना उन्हें मां दुर्गा की प्रेरणा और आशीर्वाद से ही संभव हो रही है। उन्होंने कहा कि यह उपवास केवल पूजा-पाठ नहीं बल्कि एक गहन आध्यात्मिक तपस्या है जो उन्हें आत्मबल और मन की एकाग्रता प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि नवरात्र के इन नौ दिनों में शरीर से अधिक मन और आत्मा की शुद्धि होती है। यह उनके लिए आत्म-अनुशासन का पर्व है, न कि केवल धार्मिक रस्म।
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