नयी दिल्ली , अक्टूबर 11 -- न्याय की प्रक्रिया से बचने के लिए खुद को मरा हुआ घोषित कर अदालत को गुमराह करने वाले एक शातिर भगोड़े अपराधी को दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से गिरफ्तार कर लिया है।

अपराधी वीरेंद्र विमल ने बवाना थाने में दर्ज चोरी, सेंधमारी और आर्म्स एक्ट के कई मामलों में गैर-जमानती वारंट जारी होने के बाद कानूनी शिकंजे से बचने के लिए यह गंभीर जालसाजी की थी।

अपराध शाखा के उपायुक्त आदित्य गौतम ने शनिवार को बताया कि, आरोपी ने 24 अगस्त 2021 की तारीख का एक फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाकर अदालत में पेश करवाया था, जिसके बाद उसके खिलाफ चल रही अदालती कार्यवाही को 'समाप्त' कर दी गई थी। इस धोखाधड़ी का पर्दाफाश तब हुआ जब अपराध शाखा के इंस्पेक्टर सतेंद्र पूनिया और इंस्पेक्टर सोहन लाल की टीम ने मामले की गहराई से जांच शुरू की।

डिजिटल रिकॉर्ड की सूक्ष्मता से छानबीन के बाद, टीम ने पाया कि मृत्यु प्रमाण पत्र जाली था और आरोपी जीवित था। तकनीकी इनपुट के आधार पर, एसीपी रमेश लांबा के पर्यवेक्षण में एक समर्पित टीम ने लगातार निगरानी करते हुए वीरेंद्र विमल को गुप्त सूचना वो तकनीकी सर्विलांस की सहायता से गोरखपुर में ट्रैक कटकर उसे दबोच लिया।

गिरफ्तारी के बाद, 'क्राइम कुंडली' एप्लीकेशन और चेहरा पहचान प्रणाली (एफआरएस) का उपयोग करके उसकी पहचान की डिजिटल पुष्टि की गई जिसने पुलिस डॉजियर से उसका मिलान किया और उसकी जालसाजी पर मुहर लगा दी।

पुलिस के अनुसार वीरेंद्र विमल एक आदतन अपराधी है जो रात के समय औद्योगिक इकाइयों और आवासीय परिसरों में सेंधमारी कर नकदी, इलेक्ट्रॉनिक्स और वाहन चुराता था। वह चोरी के वाहनों का इस्तेमाल आगे की वारदातों में करता था। अब इस गिरफ्तारी से उसके खिलाफ बंद हुई सभी आपराधिक कार्यवाही फिर से शुरू हो सकेंगी। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर आगे की कानूनी कार्रवाई के लिए न्यायालय में पेश किया है।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित