मुंबई , दिसंबर 23 -- बॉम्बे उच्च न्यायालय ने मंगलवार को मुंबई में वायु प्रदूषण को रोकने में विफल रहने पर बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) और महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) के प्रति कड़ी नाराजगी व्यक्त की।
मुख्य न्यायाधीश चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंखाड की पीठ ने शहर के वायु प्रदूषण पर दायर याचिका की सुनवाई के दौरान अधिकारियों को संबोधित करते हुए टिप्पणी की, "हम काम रोकना नहीं चाहते, हम नियमों का पालन चाहते हैं। आप ऐसा करने में विफल रहे हैं।"अदालत बढ़ते प्रदूषण और बिगड़ते वायु गुणवत्ता सूचकांक का स्वत: संज्ञान लेने के बाद स्थिति की निगरानी कर रही थी। बार-बार आदेशों के बावजूद अधिकारी कार्रवाई करने में विफल रहे हैं, जिससे नियमों के पालन के बजाय उल्लंघन के मामले अधिक सामने आए हैं।
अदालत ने वहां मौजूद बीएमसी आयुक्त भूषण गगरानी और एमपीसीबी सचिव एम. देवेंद्र सिंह से इस निष्क्रियता पर स्पष्टीकरण मांगा। बीएमसी के वकील एसयू कामदार ने दलील दी कि नियमों का पालन न करने पर 433 कारण बताओ नोटिस जारी किये गए और काम को रोकने के लिए 148 काम रोकने के नोटिस जारी किए गए। अदालत ने हालांकि इन उपायों की प्रभावशीलता पर सवाल उठाए।
पीठ ने टिप्पणी की कि आपके द्वारा इन तीन और चार न्यूनतम आवश्यक उपायों की निगरानी नहीं की जा रही है। आपके पास कोई मासिक या साप्ताहिक रिपोर्ट नहीं है। अदालत ने निर्माण श्रमिकों की दुर्दशा पर भी प्रकाश डालते हुए कहा कि उनके जीवन और स्वास्थ्य के अधिकार के साथ समझौता किया जा रहा है।
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