रायपुर , अक्टूबर 03 -- छत्तीसगढ़ के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बस्तर दौरे को लेकर शुक्रवार को आठ सवालों की एक सूची जारी करते हुए कहा कि जब-जब श्री शाह बस्तर आते हैं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार उनके स्वागत में नक्सली समर्पण का 'इवेंट' प्रायोजित करती है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस बार भी नक्सलियों के आत्मसमर्पण की यह घटना एक 'सोची-समझी प्लानिंग' का हिस्सा है ताकि श्री शाह बस्तर में जाकर दावा कर सकें कि सरकार की कार्रवाई से नक्सली डर गए हैं।
श्री बैज ने कहा कि श्री अमित शाह के दौरे का मुख्य उद्देश्य नक्सलवाद का खात्मा करना नहीं, बल्कि उनके 'चहेते उद्योगपतियों' को बस्तर के जल, जंगल, जमीन और खनिज देना है। उन्होंने दावा किया कि मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद भाजपा में गुटबाजी हावी हो गई है और सरकार हर मोर्चे पर विफल हो रही है, इसलिए डेमेज कंट्रोल के लिए श्री अमित शाह को छत्तीसगढ़ भेजा जा रहा है।
बस्तर की जनता की ओर से पूछे गए आठ सवालों में श्री बैज ने मांग की कि श्री अमित शाह यह गारंटी दें कि बस्तरवासियों की इच्छा के विरुद्ध अडानी या अन्य उद्योगपतियों का प्रवेश नहीं होगा। उन्होंने एनएमडीसी का मुख्यालय बस्तर में स्थानांतरित न किए जाने, नंदराज पहाड़ की अडानी को दी गई लीज रद्द न किए जाने, नगरनार स्टील प्लांट के विनिवेश, आरक्षण विधेयक पर देरी, दल्लीराजहरा-जगदलपुर रेल लाइन के कार्य में विलंब, बस्तर की खदानों को निजी समूहों को बेचे जाने और वन अधिकार अधिनियम में किए गए संशोधनों पर स्पष्टीकरण मांगा है।
उन्होंने पूछा,"क्या अमित शाह बस्तर के आदिवासियों से माफी मांगेंगे?" उन्होंने कहा कि बस्तर में बहुमूल्य खनिज होने के कारण ही उद्योगपतियों के लिए जमीन तलाशने श्री अमित शाह बार-बार आ रहे हैं जबकि स्थानीय लोगों को डर है कि उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन होगा।
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