देहरादून , नवम्बर 27 -- उत्तराखंड के वित्त सचिव दिलीप जावलकर ने गुरुवार को राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की 94वीं बैठक की। श्री जावलकर ने बैंकों से राज्य में ऋण जमा अनुपात को 60 प्रतिशत तक पहुंचाने का लक्ष्य लेकर काम करने को कहा। साथ ही स्वरोजगार संबंधित योजनाओं में लंबित ऋण आवेदनों को भी तेजी से निस्तारित करने के निर्देश दिए।
सचिवालय में आयोजित बैठक में वित्त सचिव ने कहा कि जिन जिलों में ऋण जमा अनुपात कम है, वहां अग्रणी जिला प्रबंधक विशेष रणनीति के साथ प्रयास करें। खासकर पर्वतीय जिलों में होटल, पर्यटन, पावर प्रोजेक्ट्स की वित्तीय गतिविधियों को स्थानीय बैंकों से जोड़ने के प्रयास किए जाएं। उन्होंने कहा कि जिले में कोई इकाई संचालित हो रही है, उसकी वित्तीय गतिविधियां भी उसी जिले के बैंक से संचालित होनी चाहिए।
बैठक में स्वामित्व कार्ड के आधार पर ऋण प्रदान किए जाने के लिए बैंकों के स्तर से एसओपी जारी करने पर जोर दिया गया। श्री जावलकर ने "आपकी पूंजी, आपका अधिकार" अभियान की जानकारी अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए जनजागरुकता अभियान चलाने के निर्देश दिए। उन्होंने इस अभियान में सरकारी विभागों को भी जोड़ने के निर्देश दिए। इसी तरह बैंकों को निर्देश दिए गए कि वे भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023 के तहत न्यायिक कार्यवाही में ऑनलाइन गवाही के लिए जिला मुख्यालय की शाखाओं में वीडियो कांफ्रेंस की सुविधा उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें। उन्होंने रोजगार सृजन ऋण योजनाओं में लंबित आवेदनों पर सख्त नाराजगी जताते हुए कहा कि संबंधित बैंक प्राथमिकता के आधार पर आवेदनों का निस्तारण करें, इसी तरह एमएसएमई सेक्टर को भी प्राथमिकता पर वित्तीय सहायता प्रदान करें।
श्री जावलकर ने कहा कि शिक्षा ऋण आवंटन को भी प्राथमिकता में लिया जाए। आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को शिक्षा ऋण उपलब्ध कराने को प्राथमिकता दी जाए।
इस मौके पर अपर सचिव रंजना राजगुरु, हिमांशु खुराना, निवेदिता कुकरेती, अभिषेक रुहैला सहित बैंकों के अधिकारी शामिल हुए।
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