चंडीगढ़ , नवंबर 05 -- पंजाब में लुधियाना के बुड्ढा दरिया के पुनरुद्धार के लिए गठित उच्च-स्तरीय समिति (एचएलसी) ने जलाशय के जल की गुणवत्ता को बहाल करने की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की सूचना दी है। हाल ही में की गयी समीक्षा के अनुसार, जुलाई-अगस्त 2025 की बैठकों में लिए गये लगभग 90 प्रतिशत निर्णयों को लागू किया जा चुका है।
पंजाब सरकार द्वारा 14 जुलाई, 2025 की अधिसूचना के माध्यम से उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था। इसके अध्यक्ष उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री संजीव अरोड़ा और मुख्य सचिव इसके उपाध्यक्ष हैं। स्थानीय निकाय, जल संसाधन, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पीपीसीबी, पेडा, लोक निर्माण विभाग (भवन एवं सड़क), पीडीसी, आईआईटी रोपड़ विभागों के वरिष्ठ अधिकारी और लुधियाना के उपायुक्त एवं नगर आयुक्त इसके सदस्य हैं, जिससे राजनीतिक नेतृत्व, प्रशासनिक अधिकार और तकनीकी विशेषज्ञता सुनिश्चित होती है।
गोबर और डेयरी अपशिष्ट प्रबंधन पर जानकारी देते हुए, श्री अरोड़ा ने बताया कि शून्य-निर्वहन नीति का शत-प्रतिशत कार्यान्वयन किया गया है। पूरे नगर निगम क्षेत्र में घर-घर जाकर कचरा संग्रहण कार्य चल रहा है। आरएफपी के माध्यम से दीर्घकालिक प्रबंधन साझेदार को शामिल किया जा रहा है, नवंबर 2025 के अंत तक कार्य-निष्पादन की उम्मीद है। संयुक्त विभागीय पैदल सर्वेक्षण के बाद 21 अवैध अपशिष्ट निपटान बिंदुओं की पहचान की गई है और प्राथमिकी दर्ज की गयी हैं। उन्होंने बताया कि शहर की सीमा के बाहर अवैध डेयरियों के खिलाफ कार्रवाई की गयी है, जिसके तहत जिला टास्क फोर्स द्वारा 76 में से 71 अवैध डेयरियों को बंद कर दिया गया है। शेष पांच डेयरियां प्रदूषणकारी नहीं पायी गयीं और उन पर निगरानी रखी जा रही है।
उन्होंने बताया कि सीबीजी संयंत्रों और दीर्घकालिक अपशिष्ट-से-ऊर्जा समाधानों की खोज की गयी है और मौजूदा 200 एमटीपीडी सीबीजी संयंत्र पूरी तरह से चालू हो गया है। एचपीसीएल के 300 एमटीपीडी सीबीजी संयंत्र का निर्माण शुरू हो गया है, इसी तरह का एक और संयंत्र जल्द ही शुरू होने वाला है। पीईडीए ने इन निवेशों के लिए मंज़ूरी और अनुमोदन प्रदान किये।
इलेक्ट्रोप्लेटिंग इकाइयों के खिलाफ कार्रवाई के बारे में अधिक जानकारी देते हुए, उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रोप्लेटिंग इकाइयों की डिजिटल मैपिंग पूरी हो चुकी है। निरीक्षण किये जा रहे हैं, अनुपालन न करने वाली इकाइयों को सील कर दिया गया है और पीपीसीबी और नगर निगम द्वारा कानूनी कार्रवाई शुरू की गयी है। स्रोत विभाजन और प्रदूषण विश्लेषण के लिए आईआईटी रोपड़ द्वारा वैज्ञानिक मूल्यांकन और डिजिटल निगरानी की गई है। प्रारंभिक निष्कर्ष नवंबर 2025 तक और अंतिम रिपोर्ट 2026 की दूसरी तिमाही तक आने की उम्मीद है। जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए अब प्रदूषण स्रोतों पर डिजिटल रूप से नज़र रखी जा रही है।
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