नयी दिल्ली , नवंबर 12 -- उच्च्तम न्यायालय ने बुधवार को फिर से कहा कि बीमा कंपनियाँ केवल वाहन मालिक के पॉलिसी उल्लंघन के आधार पर मोटर दुर्घटनाओं के पीड़ितों को मुआवज़ा देने की अपनी ज़िम्मेदारी से बच नहीं सकतीं।
न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि बीमा पॉलिसी की शर्तों का उल्लंघन होने पर भी बीमाकर्ता को पहले दावेदार को मुआवजा देना होगा और बाद में वह वाहन मालिक से राशि वसूल कर सकता है।
पीठ ने एक दावेदार की अपील को स्वीकार करते हुए कहा, "जहाँ बीमा अनुबंध विवादित नहीं है, बीमा शर्तों के उल्लंघन पर भी इस न्यायालय ने बीमाकर्ता को वाहन मालिक से मुआवजा वसूलने का अधिकार देकर बीमाकर्ता से मुआवज़ा वसूलने की अनुमति दी थी।"न्यायालय ने तेलंगाना उच्च न्यायालय के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें इस आधार पर दावेदार को मुआवजा देने से इनकार कर दिया गया था कि मृतक नौ यात्रियों वाले पाँच सीटों वाले वाहन में यात्रा कर रहा था, जो पॉलिसी की शर्तों का उल्लंघन है।
यह स्वीकार करते हुए कि वास्तव में पॉलिसी का उल्लंघन हुआ था, शीर्ष न्यायालय ने फिर भी 'भुगतान करो और वसूल करो'सिद्धांत पर ज़ोर दिया और कहा कि बीमाकर्ता किसी निर्दोष पीड़ित को मुआवजा देने से इनकार नहीं कर सकता।
हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित