चंडीगढ़ , नंवबर 03 -- शिरोमणि अकाली दल की वरिष्ठ नेता सांसद हरसिमरत कौर बादल ने सोमवार को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि वे विद्युत मंत्रालय को भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) में राजस्थान और हिमाचल प्रदेश से पूरे समय सदस्य रखने के अतिरिक्त पद पैदा करने के अपने फैसले को वापिस लेने के लिए दबाव डालना चाहिए।
प्रधानमंत्री को लिखे एक पत्र में अकाली नेता ने बीबीएमबी के प्रबंधन को पंजाब और हरियाणा के दो पूर्णकालिक सदस्यों तक सीमित रखने की पिछली परंपरा पर कायम रहने की अपील की। उन्होने बीबीएमबी के प्रबंधन में पंजाब की भूमिका को कमजोर करने वाले अन्य फैसलों, जिसमें बोर्ड में पंजाब और हरियाणा के अधिकारियों के प्रतिनिधित्व को समाप्त करना और बांध सुरक्षा अधिनियम को समाप्त किया जाना शामिल है।
सांसद ने प्रधानमंत्री को बताया कि पंजाब अतीत में उठाए गए विभिन्न कदमों को लेकर आंदोलन कर रहे थे, जिनसे बीबीएमबी के प्रबंधन में पंजाब की भूमिका कमजोर हुई है। उन्होने कहा,''इसमें भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (संशोधन) नियम,2022 के माध्यम से बीबीएमबी में पंजाब और हरियाणा के सशर्त प्रतिनिधित्व को समाप्त करने का फैसला और साथ ही भाखड़ा और पोंग जैसे बांधों को संघीय अधिकार क्षेत्र में लाकर राज्य के जल अधिकारों पर नियंत्रण को केंद्रीकृत करना शामिल है।''श्री बादल ने कहा कि पंजाबी बेहद हैरान हें कि बिजली मंत्रालय ने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड(बीबीएमबी) में राजस्थान और हिमाचल प्रदेश से दो नए सदस्यों की नियुक्ति का निर्णय लिया है। उन्होने कहा कि यह पंजाब पुनर्गठन अधिनियम,1966 की धारा 79(2) में संशोधन करके किया जा रहा है जबकि पंजाब के पुनर्गठन में राजस्थान की कोई भूमिका नही है और यह एक रिपेरियन राज्य भी नहीं हैं। इस फैसले से पंजाब के नदी जल और जलसंसाधनो पर संवैधानिक अधिकार कमजोर हो जाएंगें और इससे उसकी कृषि अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंच सकता है। उन्होने कहा कि पंजाब सरकार पहले ही पंजाब पुनर्गठन अधिनियम की धारा 78 और 79 को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय में मामला दायर कर चुकी है।
हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित