भुवनेश्वर , दिसंबर 24 -- ओडिशा में मुख्य विपक्षी पार्टी बीजू जनता दल (बीजद) ने चेतावनी दी है कि अगर सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार धान खरीद की प्रक्रिया को ठीक नहीं करती है, तो वह पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन करेगी।

बीजद की वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रमिला मलिक, उपाध्यक्ष संजय कुमार दास बर्मा और वरिष्ठ महासचिव भृगु बक्सिपात्रा ने बुधवार को यहां संयुक्त बयान में राज्य सरकार की कड़ी आलोचना की और कहा कि वह धान खरीद के दौरान किसानों को आ रही समस्याओं को हल करने में पूरी तरह नाकाम रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि 800 रुपये प्रति क्विंटल की इनपुट सब्सिडी देने का दावा करने वालीतथाकथित ''डबल इंजन सरकार'' सभी मोर्चों पर बुरी तरह नाकाम रही है।

बीजद नेताओं ने दोहराया कि पार्टी किसानों के हितों की रक्षा के लिए अपनी आवाज उठाती रहेगी।

श्री दास बर्मा ने कहा कि भाजपा सरकार के बार-बार 800 रुपये प्रति क्विंटल सब्सिडी देने के दावों के बावजूद, किसानों को अभी भी उनका सही हक नहीं मिल रहा है। उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में लक्षित धान की खरीद का सिर्फ़ लगभग 20 प्रतिशत ही पूरा हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया कि हालांकि खरीफ धान खरीद का सीजन शुरू हो चुका है, लेकिन कहीं भी खरीद का काम शुरू नहीं हुआ है। सरकार ने 11 जिलों में मंडियां खोलने का ऐलान किया था, लेकिन कोई खरीद नहीं हुई, जिससे उन जिलों के किसानों को सड़कों पर उतरकर विरोध करना पड़ रहा है। उन्होंने हर टोकन पर खरीदे जाने वाले धान की मात्रा को लेकर भी संशय को उजागर किया, जिसमें गैर सरकारी रिपोर्ट्स में सिर्फ़100 क्विंटल की सीमा बताई गई है।

उन्होंने ने आगे कहा कि जियो-टैगिंग, सैटेलाइट सर्वे और ग्रेन एनालाइज़र के ज़रिए खरीद की मात्रा को जानबूझकर कम किया जा रहा है।

पार्टी की वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रमिला मलिक ने आरोप लगाया कि मिल मालिकों और राज्य सरकार के बीच ''गलत सांठगांठ'' के कारण किसान निराश हो गए हैं। उन्होंने दावा किया कि एफएक्यू स्टैंडर्ड के नाम पर ''कटनी-छटनी'' जारी है और चेतावनी दी कि अगर किसानों को न्याय नहीं मिला तो बीजद सड़कों पर विरोध प्रदर्शन करेगी।

श्री भृगु बक्सिपात्रा ने कहा कि नियमों के मुताबिक किसानों को खरीद के 48 घंटे के अंदर भुगतान करना ज़रूरी है, लेकिन भुगतान में 24 दिन तक की देरी हो रही है। इस वजह से किसानों को गांवों से मंडियों और मंडियों से मिलर्स के गोदामों तक परिवहन का खर्च उठाना पड़ रहा है।

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