सीकर , नवंबर 26 -- राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया में अव्यवस्था, अत्यधिक दबाव और अत्यल्प समय-सीमा को लेकर गंभीर चिंता जताते हुए कहा है कि देशभर में बीएलओ की असामयिक मृत्यु इस प्रक्रिया की हड़बड़ी और गलत प्रणाली का परिणाम हैं, जिस पर सरकार को जवाब देना चाहिए।

श्री गहलोत ने बुधवार को यहां प्रेस वार्ता में सवाल उठाते हुए कहा कि जब 12 राज्यों में एसआईआर शुरू की गई है तो इतनी जल्दबाज़ी की क्या ज़रूरत थी। चुनावों में अभी तीन-तीन साल बचे हैं, ऐसे में प्रक्रिया को आराम से और पारदर्शी ढंग से पूरा किया जा सकता था। सरकार की यह हड़बड़ी संदेह पैदा करती है और लोकतांत्रिक ढांचे के लिए चिंताजनक है।

उन्होंने कहा कि बीएलओ आत्महत्या क्यों कर रहे हैं, क्योंकि उन पर दबाव है। आगामी चार तारीख तक नाम जुड़ नहीं पाएंगे और नौ तारीख को सूची जारी होनी है, जिसके बाद नाम जोड़ने की लंबी और जटिल प्रक्रिया शुरू होती है और इस कारण से लोग बहुत परेशान हैं।

उन्होंने प्रदेश भर में उनके कार्यकाल में शुरू की गईं जनहित की योजनाओं को बंद या धीमा किए जाने का आरोप लगाते हुए इस पर सरकार से जवाब मांगा और कहा कि "राजस्थान में जो विकास योजनाएँ चल रही थीं, उन्हें धीमा या बंद क्यों कर दिया गया। वे किसी एक व्यक्ति की नहीं, सरकार की योजनाएँ थीं। सरकारें बदलती हैं, पर जनता के हित में चलने वाली योजनाएं कभी नहीं रुकनी चाहिए।

श्री गहलोत ने कमजोर वर्गों को पेंशन समय से नहीं मिलने की स्थिति को लेकर चिंता व्यक्त की और बताया कि सड़कमार्ग से सीकर आने पर उन्हें लोगों ने पीड़ा बताई, " तीन महीने से पेंशन नहीं मिली, सात महीने से पेंशन नहीं मिल रही है," पेंशन तीन महीने नहीं मिले, इस पर कौन ध्यान देगा । उन्होंने कहा कि प्रदेश में सरकार नाम की चीज नहीं है।

उन्होंने निकाय चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि जब यह स्पष्ट है कि कानून के अनुसार चुनाव कराना अनिवार्य है, तब भी सरकार लगातार टालमटोल कर रही है।

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