लखनऊ , नवंबर 15 -- बिहार विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती को एक बार फिर निराशा हाथ लगी है। बिहार में बसपा को केवल एक सीट पर विजय मिली है जिसने पार्टी को सोचने पर मजबूर कर दिया है।
बिहार में रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में बसपा के सतीश कुमार सिंह यादव और भाजपा के अशोक कुमार सिंह के बीच कांटे की टक्कर में, बसपा उम्मीदवार ने अपने प्रतिद्वंद्वी से मात्र 30 वोटों से जीत हासिल की। इस बार बिहार में बसपा ने जिन 192 सीटों पर चुनाव लड़ा, उनमें से रामगढ़ एकमात्र सीट है जिस पर उसने जीत हासिल की। सतीश यादव को 72,689 वोट मिले, जबकि भाजपा उम्मीदवार को 72,659 वोट मिले।
हालांकि मतगणना के दिन यादव शुरू से ही बढ़त बनाए हुए थे, लेकिन अंतर कम होता गया। मतगणना के दूसरे-आखिरी दौर तक, यादव केवल 175 वोटों से आगे थे। इस सीट का अंतिम परिणाम शुक्रवार देर रात घोषित किया गया क्योंकि मतगणना का आखिरी दौर असामान्य रूप से लंबा चला।
दरअसल, रामगढ़, बक्सर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत एक सीट है और यहाँ बसपा का मामूली अंतर से हारने का इतिहास रहा है, कम से कम पिछले दो विधानसभा चुनावों (2015 और 2020) और 2024 के एक उपचुनाव में भी।
2020 में, बसपा राजद से केवल 189 वोटों से हारी थी। 2024 के उपचुनावों में वह भाजपा से 1,284 वोटों से हारी जबकि 2015 में बसपा इस सीट पर तीसरी सबसे मजबूत पार्टी थी। वहीं 2020 में बसपा ने 78 सीटों पर चुनाव लड़ा और केवल चैनपुर सीट जीती, हालाँकि उसके विजयी उम्मीदवार मोहम्मद जमा खान बाद में जदयू में शामिल हो गए।
2025 के चुनावों में बसपा ने 2020 के 1.49 प्रतिशत की तुलना में अपने वोट शेयर में 1.62 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। ऐसा इस बार उसके अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने के कारण भी हो सकता है। पार्टी के दो शीर्ष नेता, अध्यक्ष मायावती और उनके भतीजे एवं राष्ट्रीय संयोजक आकाश आनंद, पार्टी के प्रचार अभियान के चेहरे थे। मायावती के नेतृत्व वाली पार्टी ने राज्य विधानसभा की 243 सीटों में से 192 सीटों पर चुनाव लड़ा था।
हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित